कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का पार्थिव शरीर बुधवार देर रात गुजरात के भरूच जिले के अंकलेश्वर लाया गया है। वही आज पैतृक गांव पीरामन में पटेल के पार्थिव शरीर को दफनाया जाएगा। कांग्रेस के गुजरात प्रभारी राजीव सातव ने पत्रकारों से कहा कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी बृहस्पतिवार को पीरामन में पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
वही कांग्रेस के राज्यसभा सांसद व कोषाध्यक्ष अहमद पटेल के निधन पर श्रद्धांजलि देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि मेरे राजनीतिक जीवन में उनका विशेष महत्व व योगदान रहा। मुझे केंद्र की राजनीति से मप्र में कांग्रेस की मजबूती के लिए भेजने के राष्ट्रीय नेतृत्व के फैसले में उनकी विशेष भूमिका थी।
21 अगस्त, 1949 को गुजरात के अंकलेश्वर में जन्में अहमद पटेल ने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत नगरपालिका चुनाव से की थी. उन्होंने अपना पहला चुनाव ताल्लुका पंचायत के सभापति के रूप में जीता था।
इसके बाद वो तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के संपर्क में आ गए। 1977 से 1982 तक वो गुजरात युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। लगातार वो केंद्र की राजनीति में सक्रिय रहे. उन्होंने 1977, 1980 और 1984 का लोकसभा चुनाव भरूच से ही जीता।
जब सोनिया गांधी ने पॉलिटिक्स में एंट्री की तो वो अहमद पटेल ही थे, जिन्होंने हर मौके पर सोनिया गांधी का साथ दिया और 2004 के चुनावों में जीत के लिए पर्दे के पीछे रहकर रणनीति बनाई थी।
पटेल ने अपनी राजनीतिक कुशलता से बड़े-बड़े संकटों को चुटकियों में हल किया। विरोधी भी उनकी राजनीतिक कुशलता का लोहा मानते थे। कोरोना से संक्रमित होने के बाद इतनी जल्दी जिंदगी की जंग हार जाएंगे, यह अभी भी विश्वास नहीं हो रहा।