बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
कोर्ट ने महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा से एक हलफनामा जमा करने का निर्देश दिया जिसमें कहा गया है कि उन्होंने किसी अन्य अदालत में हिरासत के खिलाफ याचिका दायर नहीं की है।
बताते चले कि, महबूबा मुफ्ती घाटी से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ही जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 के तहत नजरबांद हैं। इसे लेकर उनकी बेटी इल्तिजा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी, जिसकी सुनवाई अब 18 मार्च को होगी।
पीएसए के तहत अगर सरकार को शक है कि आप पब्लिक सेफ्टी के लिए खतरा हैं या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं तो आपने भले ही कोई गलत काम नहीं किाय हो लेकिन सरकरा फिर भी आपको हिरासत में ले सकती है। शेख अब्दुल्ला सरकार में लाए गए पीएसए को 8 अप्रैल 1978 तो जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल की मंजूरी मिली थी। पीएसए को लकड़ी तस्करों पर लगाम कसने के लिए लाया गया था।
गौरतलब हो कि इससे पहले इसी पीठ ने उमर अब्दुल्ला के खिलाफ पीएसए लगाने की सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर भी जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया था।