सुप्रीम कोर्ट ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी को हुई भगदड़ मामले में दायर याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता आनंद लीगल एड फोरम ट्रस्ट ने दावा किया था कि इस हादसे में 200 से अधिक मौतें हुई हैं, जबकि रेलवे प्रशासन ने केवल 18 मौतों की पुष्टि की थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या उनके पास इस दावे का कोई ठोस सबूत है।
कोर्ट ने कहा- प्रभावित लोग खुद आ सकते हैं
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर इस मामले में कोई प्रभावित व्यक्ति या परिवार अदालत में आना चाहता है, तो वे स्वयं आ सकते हैं। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दिल्ली हाईकोर्ट जाने की सलाह दी।
15 फरवरी की घटना
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी की रात करीब साढ़े नौ बजे भगदड़ मच गई थी। हादसे में 18 लोगों की मौत हुई, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। यह घटना तब हुई जब महाकुंभ जाने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ स्टेशन पर उमड़ पड़ी। दो ट्रेनों के लेट होने की वजह से भीड़ नियंत्रण से बाहर हो गई और भगदड़ मच गई।
सरकार ने किया मुआवजे का ऐलान
रेलवे प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को ढाई लाख रुपये और मामूली रूप से घायल यात्रियों को एक लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की थी।
हादसे की जांच के लिए समिति गठित
रेलवे ने इस घटना की जांच के लिए दो सदस्यीय समिति का गठन किया, जिसमें नरसिंह देव (पीसीसीएम, उत्तर रेलवे) और पंकज गंगवार (पीसीएससी, उत्तर रेलवे) शामिल हैं। समिति इस हादसे के कारणों और लापरवाही की जांच करेगी।