रिपोर्ट: नंदनी तोदी
ऋषिकेश: चिपको आंदोलन के प्रणेता और प्रख्यात पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा का निधन हो गया है। बहुगुण कोरोना से संक्रमित थे। उनका इलाज ऋषिकेश एम्स में चल रहा था लेकिन शुक्रवार दोपहर 12 बजे उनका निधन हो गया। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेत कई बड़े नेताओं ने श्रद्धांजलि दी है।
13 साल की उम्र में राजनीति में आए:-
उत्तराखंड के टिहरी में जन्मे सुंदरलाल छोटा उम्र में ही राजनीति में दाखिल हुए। 13 साल की उम्र में उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की। दरअसल राजनीति में आने के लिए उनके दोस्त श्रीदेव सुमन ने उनको प्रेरित किया था। सुमन गांधीजी के अहिंसा के सिद्धांतों के पक्के अनुयायी थे। सुंदरलाल ने उनसे सीखा कि कैसे अहिंसा के मार्ग से समस्याओं का समाधान करना है। हालांकि, 1956 में उनकी शादी होने के बाद राजनीतिक जीवन से उन्होंने संन्यास ले लिया था। करीब 23 साल की उम्र में उन्होंने टिहरी के आसपास के इलाके में शराब के खिलाफ मोर्चा खोला। जिसके बाद 1960 के दशक में उन्होंने अपना ध्यान वन और पेड़ की सुरक्षा पर केंद्रित किया।
इस तरह हुई चिपको आंदोलन की शुरूआत:-
पर्यावरण सुरक्षा के लिए 1970 में शुरू हुआ आंदोलन पूरे भारत में फैल चुका था। चिपको आंदोलन उसी का एक हिस्सा था। गढ़वाल हिमालय में पेड़ों के काटने को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन बढ़ने लगा। 26 मार्च, 1974 को चमोली जिला की ग्रामीण महिलाएं पेड़ से चिपककर खड़ी हो गईं जब ठेकेदार पेड़ काटने के लिए आए। यह विरोध प्रदर्शन राष्ट्रीय स्तर तक पहुच गया। 1980 की शुरुआत में बहुगुणा ने हिमालय की 5,000 किलोमीटर की यात्रा भी की थी। उन्होंने यात्रा के दौरान गांवों का दौरा किया और लोगों के बीच पर्यावरण सुरक्षा का संदेश फैलाया। फिर तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भेंट किया और इंदिरा गांधी से 15 सालों तक के लिए पेड़ों के काटने पर रोक लगाने का आग्रह किया। इसके बाद पेड़ों के काटने पर 15 साल के लिए रोक लगा दी गई।
टिहरी बांध के खिलाफ भी किया था बहुगुणा ने आंदोलन:-
बहुगुणा ने टिहरी बांधी के खिलाफ के आंदोलन में भी अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने कई बार भूख हड़ताल की थी। प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहा राव के शासनकाल के दौरान उन्होंने डेढ़ महीने तक भूख हड़ताल की थी। सालों तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद 2004 में बांध पर फिर से काम शुरू किया गया। उनका कहना है कि इससे सिर्फ धनी किसानों को फायदा होगा और टिहरी के जंगल बर्बाद हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि भले ही बांध भूकंप का सामना कर लेगा लेकिन ये पहाड़ियां नहीं कर पाएंगे। बहुगुणा ने कहा कि पहले से ही पहाड़ियों में दरारें पड़ गई हैं। अगर बांध टूटा तो 12 घंटे के अंदर बुलंदशहर तक का इलाका उसमें डूब जाएगा।
प्रधानमंत्री समेत कई लोगों ने दी श्रद्धांजलि:-
पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा के निधन पर प्रधानमंत्री ने दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी का निधन हमारे देश के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के हमारे सदियों पुराने लोकाचार को प्रकट किया। उनकी सादगी और करुणा की भावना को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। मेरे विचार उनके परिवार और कई प्रशंसकों के साथ हैं। शांति।
Passing away of Shri Sunderlal Bahuguna Ji is a monumental loss for our nation. He manifested our centuries old ethos of living in harmony with nature. His simplicity and spirit of compassion will never be forgotten. My thoughts are with his family and many admirers. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 21, 2021
वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा के निधन पर दुख जताया है। मुख्यमंत्री ने कहा- “चिपको आंदोलन के प्रणेता, विश्व में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध महान पर्यावरणविद् पद्म विभूषण श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के निधन का अत्यंत पीड़ादायक समाचार मिला। यह खबर सुनकर मन बेहद व्यथित हैं। यह सिर्फ उत्तराखंड के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण देश के लिए अपूरणीय क्षति है।”
चिपको आंदोलन के प्रणेता, विश्व में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध महान पर्यावरणविद् पद्म विभूषण श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के निधन का अत्यंत पीड़ादायक समाचार मिला। यह खबर सुनकर मन बेहद व्यथित हैं। यह सिर्फ उत्तराखंड के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण देश के लिए अपूरणीय क्षति है। pic.twitter.com/j85HWCs80k
— Tirath Singh Rawat (@TIRATHSRAWAT) May 21, 2021
सीएम ने आगे कहा- पहाड़ों में जल, जंगल और जमीन के मसलों को अपनी प्राथमिकता में रखने वाले और रियासतों में जनता को उनका हक दिलाने वाले श्री बहुगुणा जी के प्रयास सदैव याद रखे जाएंगे।
पहाड़ों में जल, जंगल और जमीन के मसलों को अपनी प्राथमिकता में रखने वाले और रियासतों में जनता को उनका हक दिलाने वाले श्री बहुगुणा जी के प्रयास सदैव याद रखे जाएंगे।
— Tirath Singh Rawat (@TIRATHSRAWAT) May 21, 2021
पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें 1986 में जमनालाल बजाज पुरस्कार और 2009 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। पर्यावरण संरक्षण के मैदान में श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के कार्यों को इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।
— Tirath Singh Rawat (@TIRATHSRAWAT) May 21, 2021
तीरथ सिंह रावत ने कहा- पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें 1986 में जमनालाल बजाज पुरस्कार और 2009 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। पर्यावरण संरक्षण के मैदान में श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के कार्यों को इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।