उत्तराखंड में जल स्रोतों को स्वच्छ और संरक्षित रखने के लिए सरकार ने कड़ा कदम उठाया है। राज्य विधानसभा में वाटर एक्ट-2024 पारित कर दिया गया है, जिसके तहत जल प्रदूषण फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब अगर कोई व्यक्ति, संस्था या उद्योग जलाशयों को दूषित करता पाया गया, तो उसे प्रति दिन 10 हजार रुपये तक का जुर्माना भरना होगा।
जल स्रोतों की शुद्धता बनाए रखने पर जोर
राज्य सरकार ने यह कानून इसलिए लागू किया है ताकि नदियों, झीलों और अन्य जल स्रोतों की स्वच्छता बनी रहे। उत्तराखंड में गंगा, यमुना और अन्य प्रमुख नदियां बहती हैं, जिनका धार्मिक और पर्यावरणीय महत्व है। लेकिन बढ़ते प्रदूषण और अव्यवस्थित कचरा निस्तारण के कारण इन जल स्रोतों की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही थी।
उद्योगों और संस्थानों पर कड़ी निगरानी
नए कानून के तहत उन फैक्ट्रियों और औद्योगिक इकाइयों पर विशेष नजर रखी जाएगी, जो बिना ट्रीटमेंट के रसायन युक्त अपशिष्ट जल को नदियों और झीलों में छोड़ती हैं। पर्यावरण विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन गतिविधियों की नियमित निगरानी करेंगे और नियम तोड़ने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा।
सामान्य नागरिकों के लिए भी नियम लागू
इस कानून के दायरे में केवल बड़े उद्योग ही नहीं, बल्कि आम नागरिक भी आएंगे। यदि कोई व्यक्ति घरेलू कचरा या प्लास्टिक कचरा जल स्रोतों में डालता है, तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उत्तराखंड सरकार का मानना है कि जल प्रदूषण को नियंत्रित किए बिना स्वच्छ जल का संरक्षण संभव नहीं है। इस नए कानून के तहत जल संरक्षण योजनाओं को भी मजबूती मिलेगी और भविष्य में जल संकट को टालने में मदद मिलेगी।
जल प्रदूषण को रोकने के लिए आम जनता को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। सरकार इस बारे में जागरूकता अभियान भी चलाएगी, ताकि लोग स्वच्छ जल संरक्षण के महत्व को समझें और अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।