Loksabha Election: मध्यप्रदेश में तीसरे चरण की वोटिंग के लिए मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ पार्टियों के चुनाव प्रचार में भी तेजी आ गई है। इसी बिच पूर्व मुख्यमंत्री एवं विदिशा संसदीय क्षेत्र के प्रत्यासी शिवराज सिंह चौहान ने रेहटी में चुनाव सभा को सम्बोधित किया।
आज पूर्व मुख्यमंत्री एवं विदिशा संसदीय क्षेत्र के प्रत्यासी शिवराज सिंह चौहान ने रेहटी के मंडी प्रांगण में विशाल चुनावी सभा को सम्बोधित किया बुधनी विधानसभा से अभी शिवराज सिंह चौहान विधायक और पिछले 18 साल मुख्यमंत्री रहे।
आज उन्होंने सांसद पद के लिए बोट मांगे साथ ही अपने 18 साल मुख्यमंत्री के कार्यकाल की बुधनी विधानसभा दी गई उपलब्धियों को भी गिनाया एवं भरी मन और भावुकता से बुधनी छोड़ने का बोला। चौहान ने कहा इससे भी अच्छा होने बाला होगा इसी लिए में दिल्ली जा रहा हुं। वहा से भी आपकी सेवा में लगा रहूंगा।
इसी के साथ आज सैकड़ों कांग्रेसियों ने भाजपा का दामन थामा जिसमे केशव चौहान जो वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस सचिव है और पूर्व बुधनी ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष थे। जिनके साथ 400 लोगो ने भाजपा ज्वाइन किया। शिवराज सिंह चौहान मीडिया से बात करते हुए भावुक होकर कहा अब विधायक तो नहीं लेकिन सांसद के रुप में काम करेगे।
केशव चौहान मीडिया से बात करते हुए कहा कि कांग्रस की रणनीति कारण बताया साथ ही कहा जो राम का नहीं वह किसी काम का नही। इसी वजह से कांग्रस छोड़कर भाजपा ज्वाइन किया।
विदिशा लोकसभा सीट बीजेपी के लिए गढ़ बन चुकी है। विदिशा संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा आती हैं, जिनमें भोजपुर, सांची, सिलवानी, विदिशा, बासोदा, बुदनी, इछावर और खातेगांव शामिल है। इन आठ सीटों में से सात पर बीजेपी के विधायक हैं तो सिलवानी विधानसभा सीट से कांग्रेस के देवेंद्र पटेल विधायक हैं। इस सीट पर साल 1989 से लगातार बीजेपी के प्रत्याशी ही जीत हासिल कर रहे हैं।
साल 1989 में राघव जी ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 1991 में अटलजी विजय हुए थे लेकिन उन्होंने यहां से इस्तीफा दे दिया था। क्योंकि वह लखनऊ से भी सांसद चुने गए थे। इसके बाद हुए उपचुनाव में शिवराज सिंह चौहान जीते और साल 2006 तक सांसद रहे। इसके बाद 2006 के उपचुनाव के दौरान रामपाल सिंह ने इस सीट से जीत हासिल। वहीं इसके बाद 2009 से 2019 तक सुषमा स्वराज यहां से सांसद रहीं। वहीं इस समय रमाकांत भार्गव यहां का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां से रमाकांत भार्गव को प्रत्याशी बनाया गया था। जबकि कांग्रेस ने पूर्व विधायक शैलेन्द्र पटेल को उम्मीदवार बनाया था। इस चुनाव में बीजेपी के रमाकांत भार्गव को 8 लाख 53 हजार 22 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के शैलेन्द्र पटेल को 3 लाख 49 हजार 938 मत प्राप्त हुए थे। इस तरह बीजेपी के रमाकांत भार्गव ने यह चुनाव 5 लाख 3 हजार 84 वोटों से यह चुनाव जीत लिया था। इस तरह से बीजेपी ने इस सीट पर साल 1989 से चला आ रहा जीत का रिकॉर्ड भी कायम रखा।
साल | विजेता |
1952 | वीजी देशपांडे, हिंदू महासभा |
1957 | विजयाराजे सिंधिया, कांग्रेस |
1962 | रामसहाय पांडे, कांग्रेस |
1967 | पं. शिवशर्मा, जनसंघ |
1972 | रामनाथ गोयनका, जनसंघ |
1977 | राघवजी भाई, भारतीय लोकदल |
1980 | प्रतापभानु शर्मा, कांग्रेस |
1984 | प्रतापभानु शर्मा, कांग्रेस |
1989 | राघवजी भाई, भाजपा |
1991 | अटलबिहारी वाजपेयी, भाजपा |
1991 | शिवराजसिंह चौहान, भाजपा (उपचुनाव) |
1996 | शिवराजसिंह चौहान, भाजपा |
1998 | शिवराजसिंह चौहान, भाजपा |
1999 | शिवराजसिंह चौहान, भाजपा |
2004 | शिवराजसिंह चौहान, भाजपा |
2006 | रामपालसिंह राजपूत, भाजपा उपचुनाव |
2009 | सुषमा स्वराज, भाजपा |
2014 | सुषमा स्वराज, भाजपा |
2019 | रमाकांत भार्गव |
दिलचस्प बात यह है कि इस शहर का नाम भी नदी विदिशा के नाम पर ही है। दरअसल, विदिशा दो नदियों के संगम पर बसा हुआ है। इन प्राचीन नदियों में एक का नाम वैस है, जिसे विदिशा नदी के नाम से भी जाना जाता है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक विदिशा की आबादी 2489435 है। विदिशा लोकसभा क्षेत्र की अधिकतम आबादी 81.39 फीसदी गांवों में रहती है और 18.61 फीसदी लोग शहरी इलाके में रहती है। विदिशा लोकसभा क्षेत्र में 18.68 फीसदी लोग अनुसूचित जाति से आते हैं। 5.84 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की हैं। भारतीय चुनाव आयोग के रेकॉर्ड में विदिशा लोकसभा क्षेत्र में 16,34,370 वोटर हैं। इनमें से 7,61,960 वोटर महिला और 8,72,410 पुरुष वोटर हैं।