महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 2018 में हुई भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले की जांच एनआईए को सौंपने की मंजूरी दे दी थी। ये जांच अब तक पुणे पुलिस कर रही थी। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने जांच को केंद्रय एजेंसी से करवाए जाने का विरोध किया था। अब उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र पुलिस में कुछ लोगों का व्यवहार आपत्तिजनक था। मैं चाहता हूं कि इस अधिकारियों की भी भूमिका की जांच हो।
इसके आगे पवार ने कहा कि सुबह पुलिस अधिकारियों के साथ महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों की बैठक हुई थी। इसके बाद दोपहर तीन बजे केंद्र ने मामले को एनआईए को सैंप दिया। यह संविधान के अनुसार गलत है, क्योंकि अपराध की जांच राज्य का अधिकार क्षेत्र है।
बताते चलें कि शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में ‘केंद्र का हस्तक्षेप ये उचित नहीं’ शीर्षक के तहत संपादकीय लिखा था कि भारत राज्यों का एक संघ है। इसलिए हर राज्यों के अपने अधिकार और स्वाभिमान हैं। केंद्र की ओर से जबरन उठाए गए इस कदम से अस्थिरता आ रही है। आरोप लगाया था कि एलगार परिषद मामले की जांज एनआईए को सौंप कर केंद्र प्रतिशोध की राजनीति कर रही है।
जबकि पुणे पुलिस इस मामले में संदिग्ध माओवादी संबंधों की जांच कर रही थी। शिवसेना ने सवाल किया था कि इस तरह की बहुत सी घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में हो रही हैं, लेकिन वहां केंद्र क्यों दखल नहीं देता। जिस प्रकार से केंद्र ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच की जिम्मेदारी एनआईए को सौंपी है, क्या वह नहीं चाहती कि सच सामने आए।