कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुशीर्द ने कपिल सिब्बल सहित पार्टी के उन आलोचकों पर निशाना साधा है जो पार्टी लीडरशिप में बदलाव की आवाज बुलंद कर रहे हैं। खुशीर्द ने फेसबुक पोस्ट के जरिए अपनी बात रखी है।
खुशीर्द ने आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर की इन लाइनों के साथ अपनी बात की शुरुआत की है, ‘न थी हाल की जब हमें खबर रहे देखते औरों की के ऐबो हुनर, पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नजर तो निगाह में कोई बुरा न रहा।’ इसमें में वे (जफर) आलोचकों से अपनी कमियों को भी नजरअंदाज नहीं करने की सलाह दे रहे हैं।
खुर्शीद ने जोर देकर कहा, ‘यदि वोटर उन उदारवादी मूल्यों को अहमियत नहीं दे रहे जिनका हम संरक्षण कर रहे हैं जो हमें सत्ता में आने के लिए शॉर्टकट तलाश करने के बजाय लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए।’
अपने पोस्ट में खुर्शीद ने लिखा, ”सत्ता से बाहर किया जाना सार्वजनिक जीवन में आसानी से स्वीकार नहीं किया जा सकता लेकिन यदि यह मूल्यों की राजनीति का परिणाम है तो इसके सम्मान के साथ स्वीकार किया जाना चाहिए….यदि हम सत्ता हासिल करने के लिए अपने सिद्धांतों के साथ समझौता करते हैं तो इससे अच्छा है कि हम ये सब छोड़ दें। कपिल सिब्बल का उल्लेख किए बिना खुर्शीद ने लिखा, ‘समय-समय पर रणनीति की पुनर्मूल्यांकन की जरूरत होती है, लेकिन ऐसा मीडिया तक जाकर नहीं किया जा सकता।’
कपिल सिब्बल का उल्लेख किए बिना खुर्शीद ने लिखा, ‘समय-समय पर रणनीति की पुनर्मूल्यांकन की जरूरत होती है, लेकिन ऐसा मीडिया तक जाकर नहीं किया जा सकता।’
गौरतलब है कि बिहार चुनाव में कांग्रेस पार्टी के कमजोर प्रदर्शन को लेकर सिब्बल ने सार्वजनिक तौर पर अपनी बात रखते हुए कांग्रेस नेतृत्व को आड़े हाथ लिया था और सांगठनिक स्तर पर अनुभवी और राजनीतिक हकीकत को समझने वाले लोगों को आगे लाने की मांग की थी।
पार्टी नेतृत्व पर बिना लागलपेट के आलोचना करते हुए सिब्बल ने कहा था कि आत्मचिंतन का समय खत्म हो गया है। सिब्बल ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा था, हमें कई स्तरों पर कई चीजें करनी हैं।
संगठन के स्तर पर, मीडिया में पार्टी की राय रखने को लेकर, उन लोगों को आगे लाना-जिन्हें जनता सुनना चाहती है। साथ ही सतर्क नेतृत्व की जरूरत है, जो बेहद एहितयात के साथ अपनी बातों को जनता के सामने रखे। सिब्बल ने कहा, पार्टी को स्वीकार करना होगा कि हम कमजोर हो रहे हैं।
गौरतलब है कि बिहार चुनाव में कांग्रेस पार्टी के कमजोर प्रदर्शन को लेकर सिब्बल ने सार्वजनिक तौर पर अपनी बात रखते हुए कांग्रेस नेतृत्व को आड़े हाथ लिया था और सांगठनिक स्तर पर अनुभवी और राजनीतिक हकीकत को समझने वाले लोगों को आगे लाने की मांग की थी।
पार्टी नेतृत्व पर बिना लागलपेट के आलोचना करते हुए सिब्बल ने कहा था कि आत्मचिंतन का समय खत्म हो गया है। सिब्बल ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा था, हमें कई स्तरों पर कई चीजें करनी हैं।
संगठन के स्तर पर, मीडिया में पार्टी की राय रखने को लेकर, उन लोगों को आगे लाना-जिन्हें जनता सुनना चाहती है। साथ ही सतर्क नेतृत्व की जरूरत है, जो बेहद एहितयात के साथ अपनी बातों को जनता के सामने रखे। सिब्बल ने कहा, पार्टी को स्वीकार करना होगा कि हम कमजोर हो रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही गुजरात और मध्य प्रदेश के उपचुनाव में कांग्रेस के निराशानजक प्रदर्शन पर सिब्बल ने कहा, “जिन राज्यों में सत्तापक्ष का विकल्प हैं, वहां भी जनता ने कांग्रेस के प्रति उस स्तर का विश्वास नहीं जताया, जितना होना चाहिए था।
लिहाजा आत्मचिंतन का वक्त खत्म हो चुका है। हम उत्तर जानते हैं। कांग्रेस में इतना साहस और इच्छा होनी चाहिए कि सच्चाई को स्वीकार करे। “सिब्बल पार्टी के उन 23 नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने अगस्त में पार्टी नेतृत्व को विरोध पत्र लिखा था।
इसको लेकर पार्टी के भीतर काफी घमासान मचा था। हालांकि इसके बावजूद कांग्रेस में कोई बदलाव नहीं दिखा, बल्कि पत्र लिखने वाले नेताओं का कद कम कर दिया गया।