नई दिल्ली : दिसंबर में जीएसटी कलेक्शन को लेकर 4 सालों का रिकॉर्ड टूट सकता है। सरकार आज यानि बुधवार को वस्तु एवं सेवा कर(जीएसटी) के आंकड़े जारी करेगी। सरकार को नवंबर महीने में 1.45 लाख करोड़ रुपए संग्रह की उम्मीद है। अगर ऐसा होता है तो चार साल में यह पहली बार होगा, जब इस लेवल का कलेक्शन होगा। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बार 1.41 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का जीएसटी कलेक्शन हो सकता है। हालांकि, उसके बाद जनवरी में इसमें जरूर कुछ नरमी देखने को मिल सकती है।
आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा जीएसटी कलेक्शन इस साल मई में अब तक का हुआ है। यह आंकड़ा 1.41 लाख करोड़ रुपये का था। जीएएसटीएन के आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर महीने में रिकॉर्ड 7.35 करोड़ रिकॉर्ड ईवे बिल जनरेट हुए हैं। इस कारोबार का जीएसटी संग्रह इस महीने के आखिरी तक होगा। उसके बाद दिसंबर में संग्रह का आंकड़ा जारी किया जाएगा।
मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक इस बार ये संग्रह डेढ़ लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच सकता है। अप्रैल महीने में अब तक का रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह हुआ था। तब मार्च महीने में 7.12 करोड़ ईवे बिल का जेनेरेशन किया गया था। उसके बाद अब तक का रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह अप्रैल 2021 में हुआ था।
हालांकि अब जनवरी के महीने में जीएसटी संग्रह में कुछ कमी देखने को मिल सकती है। आंकड़ों के मुताबिक 21 नवंबर तक केवल 3.94 करोड़ जीएसटी ईवे बिल ही जनरेट हो पाए हैं। जो अक्टूबर के रोजाना के औसत से काफी कम हैं। अक्टूबर में रोजाना औसतन 23.70 लाख ईवे बिल जनरेट किए जाते थे।
वहीं, नवंबर में अब तक के आकंड़ों के हिसाब से रोजना ईवे बिल का औसत 18.76 लाख ही है। विशेषज्ञों के मुताबिक त्योहारी सीजन के पहले खरीदारी जोर पकड़ती है और इस दौरान अच्छी खासी खरीदारी हो जाती है। यही वजह है कि उसके बाद के महीनों में खरीदारी सुस्त हो जाती है।
GST कलेक्शन बढ़ने से क्या होगा?
जीएसटी कलेक्शन बढ़ने से सरकार का राजकोषीय घाटा कम होता है। राजकोषीय घाटा घटने से सरकार पर कर्ज और ब्याज अदायगी का बोझ कम हो जाता है। सरकारें राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए सब्सिडी और बाकी खर्च में कटौती भी करती हैं। वित्त मंत्रालय हर साल बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य तय करता है। अब जीएसटी कलेक्शन बढ़ने से सरकार के लिए इसके टार्गेट को हासिल करना भी आसान हो जाएगा। इससे ज्यादा संख्या में विदेशी निवेशक भी भारत के शेयर बाजार में पैसा लगाएंगे और इससे बाजार में तेजी आएगी, जिससे घरेलू निवेशकों को भी फायदा मिलेगा।