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पंच तत्वों का संरक्षण करे वरना इसका दुष्परिणाम भुगतना होगा, पढ़िए

By: RNI Hindi Desk 
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पंच तत्वों का संरक्षण करे वरना इसका दुष्परिणाम भुगतना होगा, पढ़िए

{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से }

भगवान् श्री विष्णु के आदेश से जब ब्रह्म जी ने इस सृष्टि का निर्माण किया तो उन्होंने इस सृष्टि के संचालन के कई नियम बनाये है। उन नियमों का पालन करने पर ही जीवन सफल हो सकता है।

मनुष्य के जन्म से लेकर उसके अंत तक के सारे नियम कानून बना दिए गए है। एक इंसान के पैदा होने से लेकर उसके मरने तक उसे अपने कर्त्तव्यों को पूरा करना होता है। उसी से संतुलन बना रहता है।

ईश्वर ने पंच तत्वों को समाहित करके मनुष्य का निर्माण किया है और स्वयं आत्मा के रूप में उसका संचालन करते है। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश ये पांच तत्व है जिनसे शरीर बनता है।

इन्ही की कृपा से हमारा जीवन है। इस सृष्टि में अगर एक भी तत्व की कमी हो जाए तो उसके बाद मानव जीवन संभव नहीं हो सकता है।

जब हम इन तत्वों के बीच में संतुलन नहीं रखते तो कई बार हमे इस कुदरत का विकराल रूप देखने को मिलता है।

तूफान, अधिक बारिश, महामारी ये सब कुदरत के कोप है क्यूंकि हमने हमारी ज़रूरत से अधिक इस पृथ्वी का दोहन करना शुरू कर दिया है।

धरती पर केमिकल के रूप में हमने विष मिलाना शुरू कर दिया और उसी का परिणाम है कि आज कोरोना नाम की महामारी हमांरे सामने आ गयी है।

इसलिए आप इस पर विचार करे की क्या हम इस धरती के साथ न्याय कर रहे है ? क्या हम पंचतत्वों के साथ ठीक कर रहे है ? ओस कुदरत की चिंता करोगे तो ये तुम्हारी चिंता करेगी।

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