मध्य प्रदेश सरकार की आज होने वाली कैबिनेट बैठक में पचमढ़ी के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया जा सकता है। राज्य सरकार पचमढ़ी शहर को अभयारण्य क्षेत्र से बाहर निकालने की तैयारी में है। इस कदम से करीब 450 हेक्टेयर जमीन को नजूल भूमि घोषित किया जाएगा, जिससे यहां भूमि खरीद-फरोख्त और विकास कार्यों का रास्ता साफ हो सकेगा।
सरकार ने वर्ष 1977 में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 18(1) के तहत पचमढ़ी को अभयारण्य घोषित किया था, लेकिन क्षेत्र का स्पष्ट सीमांकन नहीं किया गया। इसका परिणाम यह रहा कि न तो निजी विकास हो सका, न ही सरकारी कार्य संभव हो पाए। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद राज्य सरकार कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कर अभयारण्य के क्षेत्र में संशोधन करेगी और पचमढ़ी के भीतर के शहरी क्षेत्र को बाहर किया जाएगा।
कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह भूमि ‘पचमढ़ी भूमि विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण’ के स्वामित्व में आएगी, जिससे अब यहां व्यावसायिक गतिविधियों, अधोसंरचना विकास और रिहायशी योजनाओं को गति मिल सकेगी। अभी तक अभयारण्य क्षेत्र होने के कारण न तो किसी प्रकार की निजी गतिविधियां हो पा रही थीं और न ही स्थानीय लोगों को भूमि अधिकार मिल पा रहे थे।
कैबिनेट बैठक में मऊगंज समेत तीन नए जिलों में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के कार्यालय खोलने का प्रस्ताव भी लाया जाएगा। इससे जिला आपूर्ति अधिकारी, सहायक आपूर्ति अधिकारी, खाद्य निरीक्षक और लिपिकों के लिए नए पद सृजित होंगे।
इन नए कार्यालयों के खुलने से खाद्य सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं और नियंत्रण तंत्र को जिला स्तर पर और अधिक मजबूत किया जा सकेगा। साथ ही उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान भी स्थानीय स्तर पर तेजी से संभव होगा।
पचमढ़ी की जमीन को नजूल घोषित करना न केवल पर्यटन और व्यवसायिक गतिविधियों के लिए लाभकारी होगा, बल्कि यह मध्यप्रदेश में नियोजित शहरी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम माना जाएगा। वहीं, नए जिलों में खाद्य विभाग के कार्यालय खोलकर सरकार प्रशासनिक पहुंच और सेवा वितरण को और अधिक कारगर बनाने जा रही है।