पंजाब में कृषि बिल के विरोध में कांग्रेस की सरकार एक कानून पास करने वाली है जिसके लिए विधानसभा का सत्र बुलाया गया है। दो दिन के इस विशेष सत्र में पंजाब सरकार केंद्र सरकार के द्वारा लागू किये गए कृषि कानून के खिलाफ एक प्रस्ताव लाने वाली है लेकिन उसके पहले ही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में टकराव की स्थिति बनती हुई दिखाई दे रही है।
दरअसल,आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के ऊपर यह आरोप लगाया है की बिल का ड्राफ्ट उनके साथ शेयर नहीं किया गया है और उनके साथ धोखा किया जा रहा है। इसका विरोध करने के लिए आम आदमी पार्टी के विधायकों ने ना सिर्फ हंगामा किया बल्कि विरोध के तौर पर विधान सभा भवन में ही रात बिताई।
'ਆਪ' ਵਿਧਾਇਕ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਵਿੱਚ ਪੂਰੀ ਰਾਤ ਡਟੀ ਰਹੀ ਪਰ ਅਫਸੋਸ ਬਿੱਲਾਂ ਦੀਆਂ ਕਾਪੀਆਂ ਵਿਰੋਧੀ ਧਿਰਾਂ ਨੂੰ ਨਹੀਂ ਦਿੱਤਾ ਜਾ ਰਹੀਆਂ ਜਿਸ ਤੋਂ ਇਹ ਸਿੱਧ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਕਿ ਕੈਪਟਨ ਸਰਕਾਰ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੇ ਹੱਕ 'ਚ ਖੜ੍ਹਨ ਦੇ ਸਿਰਫ਼ ਡਰਾਮੇ ਕਰ ਰਹੀ ਹੈ। pic.twitter.com/QACdgCakJ3
— AAP Punjab (@AAPPunjab) October 20, 2020
नीचे दिखाई जा रही तस्वीरों में आप ये साफ़ देख सकते है की कैसे विधायक विधानसभा में लेटे हुए है। पार्टी के विधायक विधानसभा भवन के भीतर पड़ें सोफों पर लेटे नजर आ रहे हैं वहीं कुछ विधायक जमीन में ही गद्दा लगाकर सो गए।
दरअसल कल सोमवार को विधानसभा का सत्र श्रद्धांजलि देने के बाद आज के लिए स्थगित हो गया और पहले दिन किसान क़ानून पर बहस ना होने के कारण अकाली दल ने प्रदर्शन किया। चंडीगढ़ में पंजाब भवन के बाहर धरना दिया और ज़मीन पर बैठे बैठे लंच किया।
इसके अलावा अकाली दल ने कैप्टन अमरिंदर पर केंद्र के साथ फ़िक्स्ड मैच खेलने का आरोप लगाया। आपको बता दे, केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले संसद में कृषि बिल पारित किया था जिसमें किसान को यह सुविधा दी जा रही है की वह एक राज्य से दूसरे राज्य में अपनी फसल बेच सकता है।
In Punjab, details of the proposed Bills/agenda is not being shared with the elected representatives of opposition, forcing @AAPPunjab MLAs to sit on an overnight #dharna protest inside vidhansabha. This denial of right is murder of democracy by the @capt_amarinder ' s govt. pic.twitter.com/vspBs1HrPt
— Harchand Singh Barsat (@HarchandSBarsat) October 20, 2020
इसके अलावा यह जरुरी भी नहीं है की वह लोकल अनाज मंडी में अपनी फसल बेचे, हो सकता है की वो उस फसल को किसी कंपनी को सीधे भी बेच दे, इस सरल भाषा में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कहा जाता है।
इस बिल के पारित होने के बाद केंद्र सरकार का कहना है कि इससे किसानों को उनकी आय दुगुनी होने में मदद मिलेगी लेकिन विपक्ष का कहना है की इससे निजी कंपनियों का फायदा होगा और आने वाले समय में अनाज मंडी की व्यवस्था खत्म जो जाएगी। विपक्ष का यह भी कहना है की इससे एमएसपी पर जो खरीद हो रही है वो भी बंद हो जायेगी हालांकि इन सब के बाद भी एमएसपी पर खरीद जारी है।