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Loksabha Election: पीएम मोदी 7 मई को मध्यप्रदेश में, खरगाेन और धार में करेंगे चुनाव प्रचार

7 मई को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में आने वाली खंडवा और खरगोन लोकसभा सीटों पर चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे। यहां लोकसभा के चौथे और मध्य प्रदेश के अंतिम चरण में 13 मई को मतदान होना है।

By: RNI Hindi Desk 
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Loksabha Election: पीएम मोदी 7 मई को मध्यप्रदेश में, खरगाेन और धार में करेंगे चुनाव प्रचार

लोकसभा चुनाव में तीसरे चरण का प्रचार थम गया हैं। स्टार प्रचारक अब चौथे चरण को लेकर प्रचार में अपनी ताकत झोकेंगे। चौथे चरण के मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है ठीक वैसे-वैसे ही यहां मध्यप्रदेश के निमाड़ अंचल में चुनाव प्रचार भी अपने चरम पर पहुंच रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल मंगलवार को मध्यप्रदेश के खरगोन और धार में चुनावी प्रचार करेंगे। पीएम मोदी दोनों संसदीय क्षेत्रों में चुनावी सभाओं को संबोधित भी करेंगे। मिली जानकारी के मुताबिक पीएम मोदी कल सुबह साढ़े दस बजे मेला ग्राउण्ड खरगोन में जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद वे दोपहर सवा बारह बजे धार जिले के पी जी कॉलेज ग्राउण्ड में जनसभा को संबोधित करेंगे। इसे लेकर पार्टी जहां संगठन स्तर पर तैयारी में जुटी है, वहीं प्रशासन और पुलिस ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करना शुरू कर दिए हैं।

  • PM मोदी की 7 मई को होगी चुनावी सभा
  • खरगोन में होगी चुनावी सभा
  • नवग्रह मेला मैदान में करेंगे जनसभा को संबोधित
  • मेला ग्राउंड में बनेगा दक्षिणी मुखी मंच
  • पार्टी के नेताओं ने तैयारियों का लिया जायजा
  • 1 लाख से अधिक लोगों को बांटे गए आमंत्रण पत्र
  • PM मोदी,BJP प्रत्याशी के समर्थन में मांगेंगे वोट
  • प्रत्याशी गजेंद्र सिंह पटेल के लिए मांगेंगे वोट
  • खरगोन,खंडवा,बड़वानी में आदिवासी वोटर्स को साधेंगे

वैसे एमपी की राजनीति में आदिवासी समुदाय की अहम भूमिका रही है। मालवा-निमाड़ हो या इंदौर-उज्जैन संभाग यहां चुनाव में जीत हार आदिवासी मतदाताओं के हाथ में ही होती है। यहां पर आदिवासी समुदाय की अच्छी खासी जनसंख्या है। इसी के चलते लोकसभा चुनाव में भी मध्य प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस ने यहां फोकस कर रखा है। पीएम नरेंद्र मोदी सोमवार 7 मई को जहां धार जिले के दौरे पर रहेंगे।

वहीं वे खरगोन में भी चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। धार में पीएम मोदी दोपहर में जनसभा को संबोधित करेंगे। गौरतलब है कि पीएम की जनसभा स्थल को खास तैयारियां की जा रही हैं। पंडाल भव्य रूप से सजाया जा रहा है।

सुरक्षा व्यवस्था भी सख्त कर दी गई है। लोकसभा चुनाव के समर को लेकर पीएम नरेन्‍द्र मोदी एमपी में एक के बाद एक दौरे कर रहे हैं। इसी क्रम पीएम 7 मई को मध्यप्रदेश के निमांड अंचल के खंडवा और खरगोन में चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे। बता दें कि पीएम मोदी का एक महीने के भीतर ही मध्य प्रदेश में ये सातवां दौरा है।

खरगोन लोकसभा सीट इतिहास

मध्य प्रदेश के नर्मदा अंचल की एक और लोकसभा सीट है खरगौन सीट। इस लोकसभा सीट का गठन 1962 में किया गया था। 1962 में यहां पर पहला चुनाव हुआ और जनसंघ ने जीत का परचम फहराया। इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला रहा है। बीजेपी इस सीट पर जीत का चौका लगा चुकी है।

1989 से 1999 के बीच हुए चुनाव में उसने लगातार यहां पर विजय हासिल की। खरगोन लोकसभा सीट पर हुए हाल के चुनावों पर नजर डालें तो पिछले 2 चुनावों में बीजेपी और 1 चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली. बीजेपी के सुभाष पटेल यहां के सांसद हैं।

इस लोकसभा में मुख्य रूप से बड़वानी जिला आता है और इसमें कुछ हिस्सा खरगौन जिला का भी शामिल है। अगर इसकी लोकेशन की बात की जाए तो यह महाराष्ट्र बॉर्डर से सीधे संपर्क में है। खंडवा की तरह यह लोकसभा सीट भी प्राकृतिक रूप से बेहद सुंदर है। यहां पर बनीं सतपुड़ा की पर्वत श्रृंखला बेहद मनोरम हैं।

खरगौन लोकसभा सीट में कुल आठ विधानसभाए आती हैं, जिनमें खरगौन जिले की कासरवाड़, महेश्वर, खरगौन और भगवानपुरा शामिल हैं, वहीं बड़वानी जिले की सेंधवा, राजपुर, पंसेमाल, बड़वानी आती हैं। इन विधानसभाओं में फिलहाल तीन पर बीजेपी काबिज है तो वहीं 5 पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया हुआ है। यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से बहुत उन्नत रहा है और यहां पर कई राजाओं के शासन के चिन्ह आज भी दिखाई देते हैं।

पाषाण युग के सबूत

खरगौन लोकसभा सीट में रामायण, महाभारत काल के कई स्मारक और चिन्ह आज भी दिखाई देते हैं जिसकी वजह से यह श्रेत्र श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। वहीं भोज, सिंधिया, होलकर और मुगल राजाओं के कई स्मारक यहां पर आज भी मौजूद हैं। राजाओं के शासनकाल से पहले पाषाण युग की बात की जाए तो इस क्षेत्र में उस युग के कई हथियार भी पाए गए हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि इस क्षेत्र का इतिहास कितना पुराना है।

बीजेपी का है कब्जा

यहां पर अगर 2019 के चुनावों की बात की जाए तो गजेंद्र उमराव सिंह पटेल ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। वहीं कांग्रेस ने गोविंद मुजाल्दा को चुनावी मैदान में उतारा था। इस चुनाव में बीजेपी के गजेंद्र उमराव सिंह को साढ़े सात लाख से ज्यादा वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस के गोविंद मुजाल्दा को 5.71 लाख वोटों से संतोष करना पड़ा था। गजेंद्र उमराव सिंह ने करीब 2 लाख वोटों से गोविंद मुजाल्दा को करारी शिकस्त दी थी।

सामाजिक ताना-बाना

1 नवंबर  1956 को मध्य प्रदेश के गठन के साथ ही खरगोन  पश्चिम निमाड़ के रूप में अस्तित्व में आ गया था। यह मध्य प्रदेश की दक्षिणी पश्चिमी सीमा पर स्थित है। इस जिले के उत्तर में धार, इंदौर व देवास, दक्षिण में महाराष्ट्र, पूर्व में खण्डवा, बुरहानपुर तथा पश्चिम में बड़वानी है। यह शहर नर्मदा घाटी के लगभग मध्य भाग में स्थित है।

2011 की जनगणना के मुताबिक खरगोन की जनसंख्या 26,25,396 है। यहां की 84.46 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 15.54 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है। यहां अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या अच्छी खासी है। खरगोन में 53.56 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है और 9.02 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति की है। यहां पर 17,61,005 मतदाता हैं।

चुनाव आयोग के 2014 के आंकड़े के मुताबिक यहां पर 17,03,271 मतदाता थे, जिनमें से 8,66,897 पुरुष मतदाता और 8,36,374 महिला मतदाता थे। 2014 में इस सीट पर 67.67 फीसदी मतदान हुआ था।

राजनीतिक पृष्ठभूमि

खरगोन लोकसभा सीट पर पहला चुनाव साल 1962 में हुआ। फिलहाल यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। यहां पर हुए पहले चुनाव में जनसंघ के रामचंद्र बडे को जीत मिली थी। हालांकि अगले चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के एस बाजपेयी को जीत मिली।

1971 के चुनाव में रामचंद्र ने एक बार फिर वापसी की और कांग्रेस के अमलोकाचंद को मात दी। बीजेपी को पहली बार इस सीट पर जीत 1989 में मिली और अगले 3 चुनावों में उसने यहां पर विजय हासिल की। कांग्रेस ने 1999 में यहां पर फिर वापसी की और ताराचंद पटेल यहां के सांसद बने। इसके अगले चुनाव 2004 में बीजेपी के कृष्ण मुरारी जीते। 2007 में यहां पर उपचुनाव और कांग्रेस ने वापसी की। कृष्ण मुरारी को इस चुनाव में हार मिली।

2009 में परिसीमन के बाद यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित हो गई। यहां पर पिछले 2 चुनावों में बीजेपी की जीत मिली है। यहां की जनता ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को बराबरी का मौका दी है।

फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है.सुभाष पटेल यहां के सांसद हैं। बीजेपी को यहां पर 7 चुनाव में जीत मिली है तो कांग्रेस को 5 चुनाव में जीत मिली है। खरगोन लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं। देपालपुल, इंदौर 3,राऊ, इंदौर 1, इंदौर 4, सनवेर,  इंदौर 5, इंदौर 2 यहां की विधानसभा सीटें हैं। इन 8 विधानसभा सीटों में से 4 पर बीजेपी और 4 पर कांग्रेस का कब्जा है।

2014 का जनादेश

2014 के चुनाव में बीजेपी के सुभाष पटेल को 649354(56.34 फीसदी) वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस के रमेश पटेल को 391475(33.97 फीसदी)वोट मिले थे। आम आदमी पार्टी 2.71 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी।

इससे पहले 2009 के चुनाव में बीजेपी के मक्कन सिंह को जीत मिली थी। उन्होंने का बालाराम बच्चन को हराया था. मक्कन सिंह को 351296(46.19 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं बालाराम बच्चन को 317121(41.7 फीसदी) वोट मिले थे. सीपीआई4.19 फीसदी वोटों के साथ इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही थी.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

41 साल के सुभाष पटेल 2014 का लोकसभा चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने। पेशे से किसान सुभाष पटेल ने एमए किया है। संसद में उनकी उपस्थिति का बात करें तो वह उनकी मौजूदगी 90 फीसदी रही। उन्होंने 8 बहस में हिस्सा लिया और 95 सवाल किए।

सुभाष पटेल को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 22.50 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे। जो कि ब्याज की रकम मिलाकर 24 करोड़ हो गई थी। इसमें से उन्होंने 19.72 यानी मूल आवंटित फंड का 87.62 फीसदी खर्च किया। उनका करीब 4.29 करोड़ रुपये का फंड बिना खर्च किए रह गया।

धार लोकसभा सीट इतिहास

मध्य प्रदेश के मिनी बॉम्बे यानी इंदौर से सटी धार लोकसभा सीट पर इसके गठन के बाद से कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों का बर्चस्व बना रहा है। यहां पर इन दो पार्टियों के अलावा किसी भी तीसरी पार्टी का वोटबैंक नहीं है। धार लोकसभा सीट में धार जिला और कुछ इंदौर जिले की जगहें भी शामिल हैं। 1967 में इस लोकसभा सीट का अस्तित्व सामने आया था। यह पूरे धार जिले और इंदौर जिले के कुछ हिस्से को कवर करता है। धार लोकसभा सीट आदिवासी कैंडीडेट के लिए रिजर्व है।

पूरी लोकसभा में करीब 12 लाख वोटर्स हैं, वहीं अगर विधानसभा की बात की जाए तो इस लोकसभा सीट में 8 विधानसभाएं हैं। इन विधानसभाओं में सरदारपुर, गंधवानी, कुच्छी, मनावर, धरमपुरी, धार, बदनावर और डॉ अंबेडकर नगर यानी महू शामिल है। विंध्याचल पहाड़ियों से और नर्मदा के तटों से घिरी इस लोकसभा सीट का ऐतिहासिक महत्व भी है। भले ही यह सीट इंदौर से सटी हुई हो बावजूद इसके यहां पर इंदौर की राजनीति का बहुत ज्यादा असर दिखाई नहीं देता है।

2011 की जनगणना के मुताबिक धार की जनसंख्या 25,47,730 है। यहां की 78.63 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है और 21.37 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है। धार में अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या ज्यादा है। यहां की 51.42 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जनजाति की है और 7.66 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जाति की है।

चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 के चुनाव में यहां पर कुल 16,68,441 मतदाता थे। इनमें से 8,10,348 महिला मतदाता और 8,58,093 पुरुष मतदाता थे। 2014 के चुनाव में इस सीट पर 64.54 फीसदी मतदान हुआ था।

धार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं। सरदारपुर, मनवार, बदनावर, गंधवानी, धर्मपुरी, डॉ. अंबेडकरनगर-महू, कुकशी, धार यहां की विधानसभा सीटें हैं।

धार लोकसभा सीट पर एक दौर में कभी कांग्रेस का दबदबा रहा करता था। लेकिन देश के साथ ही वह यहां पर भी कमजोर होती गई और बीजेपी ने इसका पूरा फायदा उठाया। 2014 के चुनाव में बीजेपी की सावित्री ठाकुर कांग्रेस के उमंग सिंघर को मात देकर यहां की सांसद बनीं। हालांकि पिछले तीन चुनाव के नतीजों को देखें तो यहां की जनता ने किसी एक पार्टी को लगातार दूसरी बार नहीं चुना है।

2019 के आम चुनाव में धार संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों में दिनेश गिरवाल(कांग्रेस), छत्तर सिंह दरबार(भारतीय जनता पार्टी), गुलसिंह कवाचे(बहुजन समाज पार्टी), कैलाश वासुनिया(बहुजन मुक्ति पार्टी), मनीष डेविड(भारतीय अमृत पार्टी) और रामचरण मालीवाड़(जनता कांग्रेस) थे। वहीं निर्दलीय उम्मीदवारों में दशरथ भुवन शामिल थे।

2019 का जनादेश

बीजेपी के चत्तर सिंह दरबार को 7,22,147 वोट मिले (जीते)
कांग्रेस के गिरवाल दिनेश को 5,66,118 वोट मिले
नोटा को जनता ने 17,929 वोट दिए

2014 का जनादेश

2014 के चुनाव में बीजेपी की सावित्री ठाकुर ने कांग्रेस के उमंग सिंघर को मात दी थी। सावित्री ठाकुर को 5,58,387(51.86 फीसदी) वोट मिले थे। उमंग सिंघर को 4,54,059(42.17 फीसदी) वोट मिले थे। दोनों के बीच हार जीत का अंतर 1,04,328 वोटों का था. बसपा के अजय रावत 1.36 फीसदी वोटों के साथ इस चुनाव में तीसरे स्थान पर थे।

2009 का जनादेश

इससे पहले 2009 के चुनाव में कांग्रेस के गजेंद्र सिंह को जीत मिली थी। उन्होंने बीजेपी के मुकाम सिंह को हराया था। गजेंद्र सिंह को 3,02,660(46.23 फीसदी) वोट मिले थे तो मुकाम सिंह को 2,99,999( 45.82फीसदी) वोट मिले थे। दोनों के बीच हार जीत का अंतर सिर्फ 2661 वोटों का था। वहीं बसपा के अजय रावत 2.46 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे।

राजा भोज ने बनवाई भोजशाला

ऐतिहासिक धरोहरों की बात की जाए तो यहां पर धार किला और भोजशाला मंदिर स्थित है। धार किला एक ओर समृद्ध इतिहास का प्रतीक है तो वहीं भोजशाला मंदिर शिक्षा की देवी मां सरस्वती की उपासना का प्रतीक है। परमार राजा भोज पर इस भोजशाला का नाम पड़ा है। यहां हर बसंत पंचमी पर भव्य आयोजन किया जाता है। इतिहास में जिक्र है कि मालवा क्षेत्र की राजधानी के तौर पर इस शहर की साख थी।

राजनीतिक वर्चस्व

इस लोकसभा सीट के गठन के बाद से ही यहां पर किसी एक पार्टी का एकछत्र राज नहीं रहा है। समय-समय पर यहां की जनता ने अपने पसंदीदा कैंडिडेट को चुना है और विपक्षी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। 2014 और 2019 के चुनाव की बात की जाए तो यहां पर बीजेपी से सावित्री ठाकुर और छत्तर सिंह दरबार ने जीत दर्ज की है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर छत्तर सिंह दरबार ने कांग्रेस के गिरवाल दिनेश को करीब डेढ़ लाख वोटों के अंतर से हराया था।

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