पाकिस्तान एफएटीएफ की काली सूची में जाने से तो बच गया लेकिन एफटीएफ ने उसे ग्रे लिस्ट में ही रखने का फैसला किया है। मीडिया में आ रही खबरों की माने तो मलेशिया और तुर्की ने इस दौरान पाकिस्तान का समर्थन किया।
दरअसल, FATF आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग पर नजर रखती है, एफएटीएफ का एक हिस्सा इंटरनेशनल को-ऑपरेशन रिव्यू ग्रुप में मंगलवार को पाकिस्तान के मद्दे पर चर्चा हुई थी। हाल ही में एफएटीएफ ने पाकिस्तान नाम लिए बिना चेतावनी भी दी ती। एफएटीएफ ने कहा कि दुनिया के कुछ देश अब भी अवैध तरीकों से जुटाई गई राशि के जरिए आतंकी संगठनों का समर्थन कर रहे हैं।
इससे पहले एफएटीएप ने सोमवार को कहा कि संस्था द्वारा आतंक के वित्त पोषण पर सख्ती के बावजूद गैरकानूनी गतिविधियों और दुनिया भर में समर्थकों से जुटाए गए धन से कई आतंकवादी समूहों को अभी भी फायदा मिल रहा है। इस बारे में भारत का कहना है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकवादी समूहों को नियमित रूप से समर्थन प्रदान करता है, जिनका मुख्य निशाना भारत है।
पेरिस में हफ्ते भर चलने वाली एफएटीएफ की अगम बैठक में तय होना था कि पाकिस्तान संस्था की ग्रे सूची में बना रहेगा या उसे काली सूची में डाला जाएगा या वह इन सूचियों से बाहर हो जाएगा। पाकिस्तान का नाम लिए बिना एफएटीएफ ने एक बयान में कहा था कि, आतंकवाद धन पाने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, इसमें नए अनुयायियों की पहचान के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल और उनसे धन की मांग शामिल है।