रिपोर्ट: सत्यम दुबे
लखनऊ: ये यूपी है भइया यहां की सियासत को समझने में बड़े-बड़े राजनीतिक पंडित भी पसीना छोड़ देते हैं। अभी मंगलवार को जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव होना है। इससे पहले ही सोमवार को मायावती ने इस चुनाव से अपनी पार्टी को अलग कर लिया। सोमवार को ही एक और चौंकाने वाले वाक्या हुआ। दरअसल, जनता दल युनाइटेड ने आगामीं होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी दावेदारी पेश कर दी। JDU ने 200 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है।
JDU के इस ऐलान के बाद BJP सकते में हैं, वहीं विपक्षी दल इसे कोई बड़ी चुनावी चाल मान रहे हैं। यूपी चुनाव में उतरने के ऐलान के बाद जेडीयू नेता केसी त्यागी ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि योगी सरकार में ब्राह्मण नाराज हैं। सबको बराबर का हक चाहिए। उन्होने यहां तक कहा कि अगर सीटों के बंटवारे में भाजपा से बात नहीं बनी, तो वे छोटे-छोटे दलों से भी हाथ मिलाने से पीछे नहीं हटेंगे।
केसी त्यागी ने अपने चुनावी रणनीति को बताते हुए कहा कि यूपी में किसानों और पिछड़े वर्ग को न्याय नहीं मिल रहा है। जेडीयू ने ऐलान किया है कि 200 उम्मीदवारों में से सबसे ज्यादा किसान और पिछड़ा वर्ग से होंगे। इसके साथ ही उन्होने आगे कहा कि साल 2017 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना पार्टी की एक बड़ी गलती थी। इसके साथ ही उन्होने कोरोना काल का जिक्र किया। केंद्र और राज्य सरकारों पर निशाना साधा उन्होने कहा कि दोनों ने गलतियां कीं।
जेडीयू के ऐलान के बाद सूबे में एक नया सियासी समींकरण बनता दिख रहा है। सभी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने चश्में से देख रही हैं। साल 2015 में भी नीतीश कुमार यूपी में सक्रिय हुए थे, लेकिन फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में पीछे हट गए थे। कही हद तक माना जा रहा है कि यह उनका कोई चुनावी स्टंट हो सकता है, जिससे भाजपा विरोधियों को हानि पहुंचाया जा सके। वजह चाहे जो भी हो लेकिन मौजूदा वक्त में नीतीश के इस बड़े ऐलान से भाजपा की चिंताएं भी बढ़ गई हैं।