नई दिल्ली : राज्य में लगातार बढ़ती बेरोजगारी को लेकर बिहार सूबे के मुखिया नीतीश कुमार चिंतिंत तो हैं, लेकिन वो इसके लिए कितने चिंतिंत हैं, इसे कोई नहीं जानता। क्योंकि अभी तक बिहार सरकार की ओर से रोजगार सृजन और रोजगार बढ़ाने को लेकर ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया हैं, जिससे बिहार की जनता को बाहर पलायन होने को मजबूर ना होना पड़े।
हालांकि अब नीतीश कुमार रोजगार तो नहीं लेकिन कई लोगों को नौकरी से जबरन रिटायर देने का मूड बना चुके है। गौरतलब है कि बिहार सरकार सभी विभागों के वैसे कर्मियों को जबरन रिटायर करने की तैयारी कर रहा है, जिनकी उम्र 50 वर्ष से अधिक है। सरकार का कहना है कि वे उन कर्मियों को रिटायर करेंगे, जो कुशलतापूर्वक अपना काम नहीं कर रहे हैं।
बता दें कि इसके लिए बिहार सरकार के गृह विभाग ने दो समितियों का गठन कर दिया है, जो ऐसे कर्मचारियों के काम को मॉनिटरिंग करेंगे। मॉनिटरिंग के बाद वे उनकी रिपोर्ट विभाग को सौंपेंगे और अनिवार्य सेवानिवृत्ति की अनुशंसा करेंगे। इस बाबत गृह विभाग के आरक्षी शाखा ने आदेश जारी कर कहा है कि सामान्य प्रशासन विभाग, बिहार के संकल्प के आलोक में गृह विभाग के वैसे सरकारी सेवक, जिनकी उम्र 50 वर्ष से ज्यादा हो चुकी हो और उनकी कार्य दक्षता या आचार ऐसा नहीं है, जिससे उन्हें सेवा में बनाये रखना न्याय हो अथवा जिन्हें सेवा में बनाये रखना लोकहित में नहीं हो, के कार्यकलाप की आवधिक समीक्षा कर बिहार सेवा संहिता के नियम 74 ( क ) के प्रावधानानुसार अनिवार्य सेवानिवृत्त किये जाने की अनुशंसा करने हेतु समितियों का गठन करता है।
आपको बता दें कि गृह विभाग द्वारा समूह ‘क’ के सरकारी सेवकों की समीक्षा के लिए गठित समिति में चार सदस्य हैं। इसमें गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि सचिव, गृह विभाग, विशेष सचिव गृह, विभाग और विभागीय मुख्य निगरानी पदाधिकारी समिति के सदस्य हैं। वहीं, समूह ‘ख’ और ‘ग’ , ‘अवर्गीकृत’ के सरकारी सेवकों की समीक्षा के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। इस समिति में सचिव, गृह विभाग को अध्यक्ष बनाया गया है। जबकि संयुक्त सचिव सह मुख्य निगरानी पदाधिकारी, गृह विभाग और अवर सचिव, गृह विभाग को सदस्य बनाया गया है।
गौरतलब है कि इस बाबत सामान्य प्रशासन विभाग ने 23 जुलाई, 2020 को एक संकल्प जारी किया था, जिसके अंतर्गत 50 वर्ष से अधिक के कर्मचारियों के काम की समीक्षा कर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की अनुशंसा की गई थी। इसी के मद्देनजर गृह विभाग के अधीन दो समितियों का गठन किया गया है।