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सर्वोच्च न्यायालय ने इलेक्टोरल बांड स्कीम को किया रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता पर अपना फ़ैसला सुनाते हुए इस पर रोक लगा दिया है। सर्वोच्च अदालत ने इसे असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड को अज्ञात रखना सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन है।

By RNI Hindi Desk 
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता पर अपना फ़ैसला सुनाते हुए इस पर रोक लगा दिया है। सर्वोच्च अदालत ने इसे असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड को अज्ञात रखना सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन है।

 

सर्वोच्च न्यायालय ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को रद्द करते हुए इसे असंवैधानिक और अनुच्छेद 19 (1) (A) के तहत उल्लंघन माना है।

सर्वोच्च न्यायालय ने इस स्कीम की समीक्षा करते हुए निम्नलिखित तर्क दिये-

सर्वोच्च न्यायालय ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक सर्वसम्मत फैसले में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम के लिये कानून में किए गए बदलावों को असंवैधानिक करार दिया।

बेंच ने आयकर अधिनियम की धारा 13A में संशोधन को असंवैधानिक बताया जो

राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त चंदे का विस्तृत रिकॉर्ड रखने से छूट प्रदान करता था।

अदालत ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 290 में किए गए संशोधन को भी असंवैधानिक और मनमाना बताया, जिसमें राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त योगदान को प्रकाशित करने से छूट दी गई थी।

पाँच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने जारीकर्ता बैंक ‘भारतीय स्टेट बैंक’ को यह निर्देश दिया कि उसे 12 अप्रैल, 2019 से अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड का पूरा विवरण चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।

भारतीय स्टेट बैंक से प्राप्त इस विवरण को चुनाव आयोग 31 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।

• इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम, जिसे सरकार ने 2 जनवरी 2018 को अधिसूचित किया था।

• इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम भारत में राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने का एक माध्यम थी।

• यह दानदाताओं और प्राप्तकर्ताओं की पहचान को गोपनीय रखती थी।

• इस स्कीम के अंतर्गत भारतीय स्टेट बैंक (SBI) 1,000, 10,000, 1 लाख, 10 लाख तथा 1 करोड़ रुपए मूल्यवर्ग का बॉन्ड जारी करता था।

• ये बॉन्ड जारी होने की तारीख से 15 दिनों के लिये वैध थे।

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