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Mp News: एमपी में गांवों, मजरे, टोलों और स्कूलों के नाम बदलने की कांग्रेस और BSP ने करी मांग

मध्य प्रदेश में जातिगत भेदभाव को समाप्त करने के लिए कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने सरकार से गांवों, मोहल्लों, टोलों और स्कूलों के जातिसूचक नाम बदलने की मांग की है। इस मुद्दे को लेकर दोनों पार्टियों ने राज्यपाल मंगू भाई पटेल को पत्र लिखा है। कांग्रेस और BSP ने सर्वे कराकर ऐसे जातिसूचक नामों को बदलने की तत्काल मांग की है।

By: Rekha 
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Mp News: एमपी में गांवों, मजरे, टोलों और स्कूलों के नाम बदलने की कांग्रेस और BSP ने करी मांग

मध्य प्रदेश में जातिगत भेदभाव को समाप्त करने के लिए कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने सरकार से गांवों, मोहल्लों, टोलों और स्कूलों के जातिसूचक नाम बदलने की मांग की है। इस मुद्दे को लेकर दोनों पार्टियों ने राज्यपाल मंगू भाई पटेल को पत्र लिखा है। कांग्रेस और BSP ने सर्वे कराकर ऐसे जातिसूचक नामों को बदलने की तत्काल मांग की है।

जातिसूचक नाम बदलने की सियासत
देश भर में शहरों और रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने को लेकर कई बार सियासत होती रही है, और अब मध्य प्रदेश में इस नई मांग ने राजनीतिक गर्मी बढ़ा दी है। जहां बीजेपी सरकार पहले से ही संस्थाओं और शहरों के नाम बदलने की मुहिम चला रही है, अब कांग्रेस और BSP भी इसी राह पर चलते हुए जातिसूचक नामों को हटाने की मांग कर रही हैं।

कांग्रेस का पत्र
कांग्रेस ने अपने पत्र में लिखा है कि राज्य सरकार पिछले 20 वर्षों से जाति और भाषा के आधार पर संस्थानों के नाम बदलने में लगी है, लेकिन दुर्भाग्य से कई गांव, मोहल्ले, और स्कूल अभी भी जातिसूचक नामों से जुड़े हैं। इन नामों से समाज में ऊंच-नीच की भावना पैदा होती है, जिससे लोग शर्मिंदगी महसूस करते हैं। कांग्रेस ने टीकमगढ़ जिले के कई उदाहरण दिए, जैसे लोहरपुरा, ढिमरोला, चमरोला, जहां ऐसे नामों से सामाजिक भेदभाव फैलता है।

BSP का समर्थन
BSP नेता अवधेश प्रताप सिंह राठौर ने भी राज्यपाल को ई-मेल के माध्यम से पत्र भेजकर 5,000 से अधिक जातिसूचक नामों वाले गांवों और स्कूलों के नाम बदलने की मांग की है। उनका कहना है कि इन नामों से असमानता और भेदभाव को बढ़ावा मिलता है, और इन्हें तुरंत बदला जाना चाहिए।

सामाजिक समरसता की पहल
दोनों पार्टियों का कहना है कि जब सरकार धार्मिक और भाषाई आधार पर नाम बदलने का काम कर रही है, तो जातिसूचक नामों को बदलने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। यह कदम सामाजिक न्याय और समता को बढ़ावा देगा और एक भेदभाव रहित समाज की दिशा में महत्वपूर्ण पहल साबित होगा।

शासकीय प्राथमिक शाला (UEGS) हज्जामपुरा ब्लॉक फंदा, जिला भोपाल।
शासकीय प्राथमिक शाला ढिमरौरा, जिखनगांव, ब्लॉक निवाड़ी, जिला निवाड़ी।
शासकीय प्राथमिक शाला गड़रयाना, ततारपुरा, ब्लॉक पृथ्वीपुर, जिला निवाड़ी।
शासकीय प्राथमिक शाला, काछीपुरा, बिनवारा, जिला निवाड़ी।
UEGS चमरौला, बंजारीपुरा, ब्लॉक पृथ्वीपुर, जिला निवाड़ी।
धोबीखेड़ा, तहसील नटेरन जिला विदिशा।

कांग्रेस और BSP की इस मांग ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, और अब सभी की नजरें सरकार की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।

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