मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने ग्वालियर स्थित हजीरा में बंद पड़ी जेसी मिल का निरीक्षण किया और मजदूर यूनियन से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने मिल के बकाया भुगतान और इसके भविष्य के उपयोग को लेकर कई अहम फैसलों का संकेत दिया। सीएम ने यह भी कहा कि इस मिल के समाधान के बाद यहां आईटी सेक्टर की स्थापना की योजना बनाई जा सकती है, जिससे रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
मुख्यमंत्री की प्रमुख घोषणाएँ
मजदूरों के बकाया भुगतान पर कार्रवाई: मुख्यमंत्री ने कहा कि जेसी मिल के मजदूरों की बकाया राशि को जल्द से जल्द चुकता किया जाएगा, जिसमें कई मजदूर अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं। उनके परिवारों को भी न्याय मिलेगा।
जेसी मिल के भविष्य को लेकर योजना
सीएम डॉ मोहन ने कहा कि मिल की खाली पड़ी ज़मीन का उपयोग शहर के विकास के लिए किया जाएगा। इसके लिए उचित कदम उठाए जाएंगे, ताकि यह जगह बेकार न पड़ी रहे।
आईटी सेक्टर लाने की योजना
मिल की खाली ज़मीन पर आईटी सेक्टर को लाने की योजना बनाई जा रही है, जो क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाएगा। इससे ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के युवाओं को रोजगार मिलेगा।
मजदूर यूनियन का धन्यवाद
जेसी मिल के मजदूर यूनियन ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का धन्यवाद किया। उनका कहना था कि यह पहली बार है जब किसी मुख्यमंत्री ने उनकी समस्याओं को गंभीरता से लिया और समाधान के लिए कदम उठाया। उन्होंने मुख्यमंत्री से उम्मीद जताई कि बकाया भुगतान जल्द होगा, जैसा कि हुकुमचंद मिल के मामले में किया गया था।
जेसी मिल से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
1923 में बिरला ब्रदर्स द्वारा शुरू की गई थी, जिसे सिंधिया स्टेट के महाराज जीवाजीराव सिंधिया ने 700 बीघा ज़मीन दी थी। मिल के शिखर पर लगभग 16,000 मजदूर काम करते थे। मिल का परिसमापन 1992-1998 के बीच हुआ।
बकाया भुगतान: मिल के बकाया भुगतान का कुल आंकड़ा 134.77 करोड़ रुपये है, जिसमें श्रमिकों, बैंक और असुरक्षित लेनदारों को भुगतान किया जाना बाकी है।
अर्थव्यवस्था और रोजगार में सुधार के लिए प्रयास
सीएम डॉ मोहन यादव ने यह भी कहा कि सरकार का लक्ष्य राज्य में पुराने उद्योगों के पुनर्निर्माण और नए निवेश लाने का है। ग्वालियर रीजनल इंडस्ट्रीज कॉन्क्लेव में किए गए निवेश प्रस्तावों को ध्यान में रखते हुए, सरकार की योजना है कि इन बंद उद्योगों में नई जान फूंकी जाए, ताकि स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले।
ग्वालियर की जेसी मिल का मुद्दा न केवल मजदूरों के लिए बल्कि स्थानीय विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नेतृत्व में यह उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इस मुद्दे का स्थायी समाधान मिलेगा और ग्वालियर को एक नई दिशा मिलेगी, जिसमें आईटी सेक्टर और रोजगार के नए अवसर शामिल होंगे।