मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में 4,900 से अधिक स्टार्ट-अप्स कार्यरत हैं, जो राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भोपाल में 24 और 25 फरवरी को आयोजित होने वाली ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट (GIS) प्रदेश के स्टार्ट-अप्स को नई उड़ान देने का काम करेगी।
ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से स्टार्ट-अप्स को मिलेगा वैश्विक अनुभव
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समिट में देश-विदेश के प्रमुख निवेशक और उद्यमी शामिल होंगे, जिससे मध्य प्रदेश के युवा उद्यमियों को अंतरराष्ट्रीय तकनीक और नवाचारों का सीधा अनुभव मिलेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्टार्ट-अप्स को वैश्विक मानकों के अनुरूप विकसित करने के लिए यह आयोजन बेहद महत्वपूर्ण होगा।
स्टार्ट-अप्स को सरकार से मिल रही विशेष सुविधाएं
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार स्टार्ट-अप्स के विकास के लिए वित्तीय सहायता, आधुनिक बुनियादी ढांचा और सशक्त नीतिगत ढांचा प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि ‘एमपी स्टार्ट-अप पॉलिसी एंड इंप्लीमेंटेशन स्कीम’ के तहत स्टार्ट-अप्स को कई लाभ दिए जा रहे हैं, जिनमें शामिल हैं।
✅ स्टार्ट-अप्स को वित्तीय सहायता
महिला, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों को पहले निवेश पर 18% (अधिकतम 18 लाख रुपये) की सहायता।
अन्य स्टार्ट-अप्स को 15% (अधिकतम 15 लाख रुपये) की सहायता।
स्टार्ट-अप्स द्वारा आयोजित कार्यक्रमों के लिए 5 लाख रुपये प्रति इवेंट (अधिकतम 20 लाख रुपये प्रति वर्ष)।
इनक्यूबेटर्स के विस्तार के लिए एक बार में 5 लाख रुपये का अनुदान।
स्टार्ट-अप्स के किराए के 50% हिस्से (अधिकतम 5 हजार रुपये प्रति माह) की तीन वर्षों तक प्रतिपूर्ति।
पेटेंट कराने की लागत के लिए अधिकतम 5 लाख रुपये की सहायता।
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स में भाग लेने पर 75% तक खर्च की प्रतिपूर्ति (50 हजार रुपये तक घरेलू इवेंट्स और 1.5 लाख रुपये तक अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स)।
स्टार्ट-अप्स के लिए लाइसेंस फीस में छूट और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट।
एमपी में स्टार्ट-अप्स के लिए बेहतरीन माहौल
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि राज्य में स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने के लिए सरकारी निविदाओं में अनुभव और टर्नओवर की शर्तों में छूट दी गई है। साथ ही, उन्हें अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट से भी मुक्त रखा गया है। इसके अलावा, प्रदेश सरकार ने स्टार्ट-अप्स को लाइसेंस और परमिट शुल्क में छूट देने के साथ दो वर्षों तक सरकारी खरीद में प्राथमिकता देने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में बिजली, पानी और प्राकृतिक संसाधनों की कोई कमी नहीं है, जिससे यह प्रदेश निवेशकों के लिए आदर्श स्थल बनता है।
100% स्टार्ट-अप वृद्धि का लक्ष्य, टेक्सटाइल और एग्रीकल्चर सेक्टर में अपार संभावनाएं
डॉ. यादव ने बताया कि राज्य सरकार ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ मिशन के तहत स्टार्ट-अप्स की संख्या को 100% तक बढ़ाने का लक्ष्य रख रही है। प्रदेश में 72 इनक्यूबेटर कार्यरत हैं, जो इन स्टार्ट-अप्स को आवश्यक संसाधन और मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं।