मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनावों की एक महत्वपूर्ण जंग बुधनी और विजयपुर विधानसभा सीटों पर लड़ी जा रही है। इन दोनों सीटों पर चुनावी मुकाबला केवल एक राजनीतिक संघर्ष नहीं, बल्कि भाजपा सरकार के लिए प्रतिष्ठा का सवाल भी बन चुका है। बुधनी और विजयपुर में होने वाले चुनाव मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के लिए खास चुनौती पेश कर रहे हैं, जो लोकसभा चुनावों में जबरदस्त प्रदर्शन कर चुके हैं।
बुधनी में जीत का अंतर बरकरार रखना चुनौती
बुधनी, जो साल 2003 से भाजपा के गढ़ के रूप में जानी जाती है, भाजपा के लिए विशेष महत्व रखता है। इस सीट पर भाजपा के उम्मीदवार रमाकांत भार्गव को जिताने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और डॉ. मोहन यादव के कंधों पर है। हालांकि शिवराज सिंह चौहान इन दिनों झारखंड विधानसभा चुनाव के प्रभारी हैं और वहां अपने कंधों पर भारी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, लेकिन उनकी भूमिका बुधनी में जीत के अंतर को बनाए रखने में अहम रहेगी। इसके लिए उनके बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान प्रचार में जुटे हुए हैं, जबकि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
विजयपुर में रामनिवास रावत की प्रतिष्ठा दांव पर
विजयपुर विधानसभा सीट पर भाजपा के मंत्री रामनिवास रावत के लिए यह उपचुनाव बेहद अहम है। रावत, जो कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से 6 बार विधायक रह चुके हैं, अब भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। कांग्रेस ने आदिवासी नेता मुकेश मल्होत्रा को उम्मीदवार बना कर चुनाव को और रोचक बना दिया है। विजयपुर कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है, और अब रावत के लिए यहां भाजपा के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल करना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।
बुधनी और विजयपुर दोनों ही सीटों पर भाजपा की रणनीति
दोनों सीटों पर भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा संगठन और सरकार दोनों ने इन उपचुनावों के लिए अपनी पूरी टीम को मैदान में उतार दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधनी में सैकड़ों करोड़ रुपये के विकास कार्यों की शुरुआत की और विजयपुर में 9 अक्टूबर को वन समितियों के सम्मेलन के साथ चुनाव प्रचार की शुरुआत की। वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने भी दोनों सीटों पर बूथ स्तर तक तैयारी पूरी कर ली है और कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया है।
कांग्रेस की तरफ से भी कड़ी चुनौती
कांग्रेस ने इन दोनों सीटों पर कड़ी चुनौती पेश की है। बुधनी में भाजपा को कांग्रेस के पुराने नेता राजकुमार पटेल से सामना करना है, जो 1993 में इस सीट से विधायक बने थे। पटेल के जातिगत वोट बैंक से भाजपा को मुकाबला करना होगा। वहीं विजयपुर में कांग्रेस रामनिवास रावत को उनके परंपरागत वोटबैंक से हराने के लिए पूरी ताकत झोंकने को तैयार है।
इन दोनों सीटों पर 13 नवंबर को होने वाले मतदान से प्रदेश की राजनीतिक दिशा और आगामी चुनावों के लिए कई संकेत मिलेंगे।