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Loksabha Election: मोहन यादव का दिग्विजय सिंह पर पलटवार, बोले- बंटाधार सरकार को जनता भूली नहीं

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दिग्विजय सिंह पर पलटवार किया है। सीएम ने कहा कि अमित शाह ने डंके की चोट पर अपनी बातें रखी हैं। दिग्विजय सिंह की बंटाधार सरकार को जनता भूली नहीं है। झूठ बोलना दिग्विजय सिंह जी की आदत है।

By RNI Hindi Desk 
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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पर पलटवार किया है। सीएम मोहन ने कहा कि अमित शाह ने डंके की चोट पर अपनी बातें रखी हैं। दिग्विजय सिंह के बारे में जनता सब जानती है। दिग्विजय सिंह की बंटाधार सरकार को जनता भूली नहीं है। झूठ बोलना और बार-बार झूठ बोलना दिग्विजय सिंह जी की आदत है। 7 मई को प्रदेश की जनता इनको मुंहतोड़ जवाब देगी।

आपको बता दे कि पिछले दिनों केंद्रीय रक्षा मंत्री अमित शाह की राजगढ़ जनसभा के दौरान पूर्व सीएम और कांग्रेस लोकसभा प्रत्याशी दिग्विजय सिंह को लेकर दिए आशिक के जनाजे वाले बयान पर सियासी घमासन मच गया है। अमित शाह के बयान के बाद दिग्विजय सिंह ने इमोशनल कार्ड खेलते हुए कहा था कि बीजेपी के नेता मेरी अर्थी निकालना चाहते हैं, अब फैसला आपके हाथ में है कि मैं आपके सिर आंखों पर रहूं या कंधे पर रहूं। इस बयान पर सीएम मोहन यादव ने चुटकी लेते हुए कहा कि दिग्विजय सिंह कब तक हिंदुओं को मूर्ख बनाएंगे? जनता सब जानती है।

सीएम डॉ मोहन यादव ने दिग्विजय सिंह पर साधा निशाना

सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा कि दिग्विजय सिंह ने जिस तरह अमित शाह के बारे में हल्की बात की, मैं उसकी निंदा करता हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि वे माफी मांगेंगे। दिग्विजय सिंह ने अरविंद केजरीवाल को लेकर क्या-क्या नहीं बोला लेकिन अब उनके साथ हैं। राममंदिर के मामले में आपकी पार्टी और आपने कितने अड़ंगे डाले, उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा का न तो निमंत्रण स्वीकार किया और न ही आज तक राममंदिर के दर्शन किए, कब तक हिंदुओं को मूर्ख बनाएंगे? जनता सब जानती है। जिन्होंने खिताब पाया 10 साल की बंटाधार सरकार का, जनता भूली नहीं है उन सब बातों को।

दिग्विजय सिंह ट्वीट कर खेला था इमोशनल कार्ड

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने एक्स पर ट्वीट कर लिखा कि “मुझ पर अमित शाह जी की कृपा रही है। उनका मेरे प्रति इतना प्रेम है कि उन्होंने मेरा जनाजा निकालने तक की बात कह दी। यानि मेरी अर्थी बीजेपी के नेता निकालना चाहते हैं और क्यों, क्योंकि मैं आप सबकी चिंता करता हूं। मैं चाहता तो मना कर देता कि चुनाव नहीं लडूंगा, लेकिन मेरे गृह क्षेत्र की जनता की उपेक्षा ने मुझे चुनाव लडऩे के लिए मजबूर किया। मैं आखिरी दम तक आपके बीच आपकी लड़ाई लड़ता रहूंगा, चाहे आप मुझे कंधे पर उठाएं या सिर आंखों पर बिठाएं, अब आपकी मर्जी है, लेकिन मैं सदैव आप का था और रहूंगा।

अमित शाह ने शायराना अंदाज में कसा था तंज

बता दें कि राजगढ़ के खिलचीपुर में जनसभा को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अब दिग्विजय सिंह को राजनीति से परमानेंट विदाई देने का समय आ गया है। दिग्विजय की सिंह की विदाई आपको करनी है। गृह मंत्री ने कहा कि “आशिक का जनाजा है, जरा धूम से निकले।” उन्होंने आगे कहा कि दिग्विजय सिंह की विदाई भारी मतों से हराकर करनी है। उन्हें घर पर बिठाने का काम राजगढ़ वाले करें, यही कहने आया हूं।

तीसरे चरण में इन सीटों पर होगा मतदान

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के तहत एमपी की इन 8 सीटों पर मतदान होना है। इनमें गुना, राजगढ़ के अलावा भिंड, मुरैना, ग्वालियर, सागर, विदिशा और भोपाल शामिल हैं।

2014 से बदला माहौल

करीब 30 वर्ष तक यह सीट राजा के गढ़ के रूप में जानी जाती रही, लेकिन पिछले दो चुनाव से यहां किले द्वारा घोषित उम्मीदवारों को करारी हार का सामना करना पड़ा। 2014 के चुनाव में किले ने नारायण सिंह आमलाबे को लगातार दूसरी बार मैदान में उतारा, तो भाजपा ने रोडमल नागर को। नागर ने इस चुनाव में किले के उम्मीदवार को दो लाख 28 हजार के बड़े अंतर से हराया। इसके बाद 2019 के चुनाव में किले ने मोना सुस्तानी पर भरोसा जताया तो भाजपा ने फिर नागर को मैदान में उतारा था।
इस चुनाव में भाजपा और रोडमल नागर और ताकतवर होकर उभरे और किले की नींव पर गहरी चोट पड़ी, क्योंकि नागर ने किले के प्रत्याशी को रिकार्ड चार लाख 31 हजार के बड़े अंतर से करारी शिकस्त दी थी। इस बार 2024 के चुनाव में रोडमल नागर लगातार तीसरी बार मैदान में हैं, वहीं उनके सामने कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। राजगढ़ से मैदान में राजा के उतरने की रणभेरी के बीच यहां के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालना जरूरी है।

30 वर्ष ऐसे रहा किले का दबदबा, कब कौन बना सांसद

1980 में दिग्विजय सिंह जब कृषि मंत्री बनकर जिले में आए, तभी से लोकसभा क्षेत्र में उनका दखल शुरू हो गया था। 1984 में वे खुद सांसद चुने गए। 1989 का चुनाव प्यारेलाल से हारे, लेकिन 1991 में फिर सांसद चुने गए। वहीं 1994 उपचुनाव, 1996, 1998, 1999 में लक्ष्मण सिंह कांग्रेस से सांसद चुने गए, 2004 में भाजपा से जीते। 2009 में दिग्विजसिंह के करीबी नारायण सिंह सांसद चुने गए थे। इस तरह सिंह का यहां लंबे समय प्रभाव रहा। इसके बाद दो बार से भाजपा का कब्जा है।

विधानसभा चुनाव में भी बड़े अंतर से हारे कांग्रेस उम्मीदवार

राजगढ़ संसदीय क्षेत्र में टिकट दिग्विजय सिंह के बिना नहीं होते। ऐसे में 2023 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के उम्मीवारों को भाजपा उम्मीदवारों के सामने बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस के सिर्फ दो विधायक दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह व सुसनेर से भैरू सिंह बापू ही चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। जबकि छह विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवारों ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की है।
चांचौड़ा में उनके अनुज लक्ष्मण सिंह को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा। ब्यावरा में भाजपा के नारायण सिंह पंवार के सामने कांग्रेस के पुरुषोत्तम दांगी 36 हजार के अंतर से हारे। राजगढ़ में अमर सिंह यादव के सामने कांग्रेस के बापू सिंह तंवर करीब 22 हजार से हारे, नरसिंहगढ़ में कांग्रेस के गिरीश भंडारी, भाजपा के मोहन शर्मा से 27 हजार के अंतर से हारे। सारंगपुर में कांग्रेस उम्मीवार को 23 हजार के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। खिलचीपुर में प्रियव्रत सिंह करीब 14 हजार के अंतर से हारे।

दो नदियों पर बन रहे बांध

इस क्षेत्र में कालीसिंध नदी पर कुंडालिया डेम भी बना है। यह परियोजना 3448 करोड़ में बनाई जा रही है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद किसानों को यहां से हाई प्रेशर के जरिए सिंचाई के लिए पानी भेजा जाएगा। इसके अलावा नेवज नदी पर भी यहां मोहनपुरा डैम बनाया जा रहा है। इसे भी इस क्षेत्र के ज्यादातर किसानों को सिंचाई के लिए पानी पहुंचाने के लिए उपयोग किया जाएगा। इस परियोजना को 3800 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है।

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