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महबूबा मुफ्ती ने रिहा होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनके पिता से मीटिंग की है

By: RNI Hindi Desk 
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महबूबा मुफ्ती ने रिहा होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनके पिता से मीटिंग की है

पीडीपी की प्रमुख और जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ़्ती को कल आख़िरकार सरकार ने रिहा कर दिया है। उनकी रिहाई एक साल, दो महीने और 9 दिन बाद की गई है। पिछले साल पांच अगस्त को जब देश के गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में धारा 370 हटाने के एलान किया था उसी के बाद उन्हें नजरबंद कर दिया गया था।

दरअसल 6 फरवरी को उनके हिरासत की अवधि खत्म हो रही थी लेकिन सरकार ने उन्हें एक बार फिर नजरबंद कर दिया। इस बार उन्हें पब्लिक सेक्युरिटी एक्ट के तहत हिरासत में लिया गया था।

आपको बता दे की इस एक्ट को 1978 में बनाया गया था जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को बिना किसी ट्रायल के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है। महबूबा मुफ़्ती की हिरासत इस लिए भी विवादों में रही क्योंकि आठ महीने में उनकी चार जगह बदली गई।

 

खास बात यह भी है की जितने भी नेता उस दौरान हिरासत में लिए गए थे उनमे से सभी एक साल के पहले ही रिहा कर दिए गए थे लकिन सिर्फ महबूबा मुफ़्ती ही एक ऐसी नेता थी जो अब तक रिहा नहीं की गई थी।

आज महबूबा मुफ़्ती ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अबदुल्ला से मीटिंग की है। साथ में उनके पिता फारूक अब्दुल्ला भी थे। इस मीटिंग के बारे में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह कोई राजनीतिक भेंट नहीं थी। उन्होंने आगे कहा की मैं तो बस उनके हालचाल लेने आया था।

आपको बता दे, कल जब उन्हें रिहा किया गया तो उसके बाद उन्होंने एक ऑडियो संदेश जारी किया और इस बात को बता दिया की उन्हें आज भी सरकार के उस निर्णय से आपत्ति है जिसमे अचानक से आर्टिकल 370 हटा दिया गया।

उनके ट्विटर अकाउंट से उनका यह ऑडियो पब्लिश किया गया है जिसमें उन्होंने अपने समर्थकों का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने उस सन्देश में कहा, मैं आज एक साल से ज्यादा अर्से के बाद रिहा हुई हूं। इस दौरान 5 अगस्त 2019 के काले दिन का काला फैसला हर पल मेरे दिल और रूह पर वार करता रहा।

मुझे अहसास है कि यही कैफियत जम्मू-कश्मीर के तमाम लोगों की रही होगी। हममें से कोई भी शख्स उस दिन की डाकाजनी और बेइज्जती को कतई भूल नहीं सकता।

आगे उन्होंने कहा, हम सबको इस बात को याद करना होगा कि दिल्ली दरबार ने पिछले साल 5 अगस्त को गैर-आइनी, गैर-जम्हूरी, गैर-कानूनी से जो हक छीन लिया, उसे वापस लेना होगा।

उसके साथ-साथ मसले कश्मीर जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर के हजारों लोगों ने अपनी जान न्योछावर कीं, उसको जारी रखने के लिए हमें अपनी जद्दोजहद जारी रखनी होगी। मैं मानती हूं कि यह रहा कतई आसान नहीं होगी।

लेकिन मुझे यकीन है कि हम सबका हौसला और अजम ये दुश्वार रास्ता तय करने में मॉविन होगा। आज जबकि मुझे रिहा किया गया है, मैं चाहती हूं कि जम्मू-कश्मीर के जितने लोग मुल्क के मुख्तलिफ जेलों में बंद हैं, उन्हें जल्द से जल्द रिहा किया जाए।

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