सपा को हराने के लिए मायावती चलेगी बीजेपी के साथ
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र में सरकार बनाई। जिस वजह से यूपी में बीजेपी का विजयरथ रोकने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी एक साथ आ गए थे, लेकिन उनका गठबंधन तीन साल में टूट गया।
हाल ही में बसपा के 7 विधायक बागी हो गए और राज्यसभा चुनाव में सपा के साथ जाने का फैसला लिया। जिस पर अब मायावती सपा पर बुरी तरह भड़की हैं। साथ ही उन्होंने सपा के साथ गठबंधन को अपनी बड़ी भूल करार दी है।
मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए सपा से हाथ मिलाया था, लेकिन अपने परिवार मुलायाम परिवार की लड़ाई की वजह से वो गठबंधन का ज्यादा लाभ नहीं ले पाए।
उन्होंने चुनावों के बाद से हमें जवाब देना बंद कर दिया, जिस वजह से हमने अब अकेले आगे बढ़ने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि मैं ये बताना चाहती हूं कि लोकसभा चुनाव में हुए गठबंधन के बाद से ही एससी मिश्रा कहते रहे कि बसपा-सपा ने हाथ मिलाया है, ऐसे में जून 1995 के मामले को वापस लेना चाहिए। बाद में जब लोकसभा चुनाव खत्म हो गए और हमने सपा का व्यवहार देखा तो हमें अपनी गलती का अहसास हुआ।
मायावती के मुताबिक उन्हें 2 जून 1995 गेस्ट हाउस कांड का केस वापस नहीं लेना चाहिए था। ये उनकी एक बड़ी गलती थी। इसके अलावा उन्हें सपा से भी हाथ नहीं मिलाना चाहिए था। इसके लिए गहराई से सोचने की जरूरत थी।
उन्होंने कहा कि हमने तय किया है कि भविष्य में यूपी में होने वाले एमएलसी चुनाव में सपा उम्मीदवारों को हराने के लिए, हम अपनी सारी ताकत लगा देंगे। अगर जरूरत पड़ी तो हम बीजेपी का भी साथ पकड़ लेंगे।
उन्होंने कहा कि राज्यसभा चुनाव के लिए उनकी रामगोपाल यादव से बात हुई थी, उस दौरान उन्होंने कहा था कि वो एक प्रत्याशी खड़ा करेंगे। जिस वजह से बसपा ने रामजी गौतम को उतारा। उन्होंने सपा पर झूठा हलफनामा दायर करने का भी आरोप लगाया।