आचार्य चाणक्य का नाम आते ही लोगो में विद्वता आनी शुरु हो जाती है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति और विद्वाता से चंद्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठा दिया था। इस विद्वान ने राजनीति,अर्थनीति,कृषि,समाजनीति आदि ग्रंथो की रचना की थी। जिसके बाद दुनिया ने इन विषयों को पहली बार देखा है। आज हम आपको आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र के उस नीति के बारे में बतायेंगे। जिसमें उन्होने बताया है कि किसी भी मनुष्य का हो गया अपमान से सामना तो खुशियों का खात्मा निश्चितय़।
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में बताया है कि मनुष्य के जीवन में अपमान मौत से कम नहीं है। अगर आपकी किसी ने सरे आम बेइज्जती कर दी तो जीवन में उससे बड़ा कोई दुख नहीं है। उन्होने तर्क दिया है कि क्योंकि आमतौर पर मनुष्य जिस चीज के लिए सबसे ज्यादा घबराता है कि कही उसकी बेइज्जती ना हो जाए। कई लोग ऐसे होते हैं जो अपमानित होने पर उसका मुंह तोड़ जवाब नहीं देते। ऐसा करने वाले इंसान को जिंदगी में कदम कदम पर अपमान का घूंट पीना होगा।
उन्होने आगे कहा है कि अगर आपका कोई अपमान कर रहा है तो उसे वहीं रोकिए। जिस तरह से बीता हुआ वक्त वापस नहीं आता है, ठीक उसी तरह से अगर किसी ने आपका अपमान सबके सामने कर दिया है तो आपको लोगों की नजरों में वो जगह नहीं मिलेगी जो पहले हुआ करती थी। अपमान का घूंट जहर से भी ज्यादा कड़वा होता है। इसी वजह से इंसान का जीना मुश्किल हो जाता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं असल जिंदगी में आप भले ही एक बार कोशिश करें कि आप अपने उस अपमान को भूल जाएं। लेकिन आपके आसपास के लोग ऐसा नहीं होने देंगे। जब भी उनको मौका मिलेगा तो वो आपके उन जख्मों को फिर से कुरेदने की कोशिश करेंगे जिन्होंने अभी भरना ही शुरू किया था।