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महराजगंज से सामने आया मनरेगा का बड़ा घोटाला, घुघली ब्लॉक के BDO हटाए गए,DC मनरेगा से वापस लिया गया चार्ज

By RNI Hindi Desk 
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रिपोर्ट: सत्यम दुबे

महराजगंज: उत्तर प्रदेश के महराजगंज से घोटाले का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानकर आप भी दंग रह जायेंगे। यहां जिले मनरेगा घोटाले का मामला सामने आया है। जिसके बाद इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन कार्रवाई के मोड में आ गया है। एक के बाद एक तीन FIR दर्ज की जा चुकी है और घोटाले की लंबी होती फेहरिस्त देख कार्रवाई भी शुरू हो गई है।

आपको बता दें कि इस मामले में घुघली ब्लाक के एपीओ विनय कुमार मौर्य पर सबसे पहले गाज गिरी। मौर्य की सेवा समाप्ति के बाद जिलाधिकारी डॉक्टर उज्ज्वल कुमार ने सीडीओ के प्रस्ताव पर घुघली ब्लाक के बीडीओ प्रवीण शुक्ला को भी पद से हटा दिया है। प्रवीण शुक्ला की जगह ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/ एसडीएम सदर के पद पर तैनात आईएएस अफसर साईं तेजा सीलम को घुघली ब्लाक के बीडीओ का चार्ज दिया गया है।

वहीं डीसी मनरेगा अनिल चौधरी के पास सदर ब्लाक के बीडीओ का अतिरिक्त प्रभार था। चौधरी से भी प्रभार वापस लेकर प्रशिक्षु PCS अधिकारी कर्मवीर केशव को सौंप दिया गया है। आशंका जताई जा रही है कि डीसी मनरेगा पर कार्रवाई के पीछे मनरेगा घोटाले का ही कनेक्शन है। परतावल और घुघली ब्लॉक में जिन फर्जी मजदूरों के नाम पर भुगतान किया गया उनमें से अधिकांश का नाम-पता सदर ब्लाक के बांसपार बैजौली गांव का था लेकिन गांव में उस नाम के मनरेगा मजदूर ढूंढ़ने से भी नहीं मिल रहे हैं।

जबकि  मनरेगा के तहत घोटाले का पहला मामला 28 मई को परतावल ब्लाक में सामने आया था। परतावल के बीडीओ प्रवीण शुक्ला ने सदर कोतवाली में केस दर्ज कराया था जिसमें बरियरवा में पोखरी के सौंदर्यीकरण के नाम पर 26 लाख रुपये का फर्जी भुगतान कराए जाने का आरोप था।

बीडीओ ने अपनी तहरीर में कहा था कि पोखरी के सौंदर्यीकरण के लिए जो वर्क आईडी स्वीकृत हुई थी उस पर काम नहीं हुआ और वन विभाग के डोंगल से भुगतान कर लिया गया। इस मामले में बीडीओ ने एपीओ विनय कुमार मौर्य, दिनेश मौर्य, एक कथित ठेकेदार के साथ ही वन विभाग के तीन कर्मचारियों को आरोपी बनाया था। बीडीओ के केस दर्ज कराने के दो घंटे बाद भी वन विभाग के एसडीओ सदर चंद्रेश्वर सिंह ने तीन अज्ञात वन कर्मियों को नामजद करते हुए तत्कालीन एसडीओ घनश्याम राय, कम्प्यूटर ऑपरेटर अरविंद श्रीवास्तव और लेखा लिपिक बिन्द्रेश सिंह को आरोपित बना दिया था।

इस मामले में बाद में डीएफओ ने बताया था कि वन विभाग ने कभी मनरेगा से कार्य कराने के लिए कार्ययोजना नहीं भेजा। यहां तक की डोंगल भी नहीं बना है। ऐसे में इस फर्जीवाड़े से वन विभाग का कोई कनेक्शन नहीं है। परतावल ब्लॉक में मनरेगा घोटाले की जांच क्राइम ब्रांच कर रहा है।

आपको बता दें कि परतावल के बाद घुघली ब्लॉक के चार गांवों में भी मनरेगा घोटाला सामने आ गया। सीडीओ गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि दोनों ब्लॉक में जिन फर्जी मजदूरों का उपयोग किया गया, वे एक ही हैं। ऐसे करीब छह सौ जॉबकार्ड मनरेगा के फर्जी भुगतान में इस्तेमाल किए गए थे। जांच में मामला उजागर होने के बाद सीडीओ ने सभी छह सौ फर्जी जॉबकार्ड डिलीट करा दिए।

वहीं घुघली ब्लॉक के मनरेगा घोटाले में बीडीओ प्रवीण शुक्ला ने 15 जून की देर रात सदर कोतवाली में दो FIR दर्ज कराई। पहले FIR में 80 लाख रुपये के गबन का आरोप निवर्तमान अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी विनय कुमार मौर्या, तत्कालीन कम्प्यूटर ऑपरेटर परतावल और घुघली यशवंत यादव और दैनिक वेतन पर कार्यरत कम्प्यूटर ऑपरेटर प्रदीप शर्मा, तथाकथित ठेकेदार ग्राम पंचायत सतभरिया निवासी दिनेश मौर्या के साथ ही फर्जी भुगतान में शामिल फर्म फर्म अंकित इण्टरप्राइजेज, अमन ट्रेडिंग कंपनी पर लगाया गया।

इसके बाद बीडीओ ने इन सभी के खिलाफ धोखाधड़ी समेत कई अन्य धाराओं में केस दर्ज कराया। बीडीओ का आरोप था कि मनरेगा घोटाले का आरोप सामने आने के बाद उपायुक्त श्रम रोजगार के पत्र के आधार पर छह सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। जांच समिति ने सात कार्यों की जांच की।

आपको बका दें कि जांच के समय मनरेगा सॉफ्टवेयर के एमआईएम अभिलेखीय परीक्षण, पूछताछ और स्थलीय सत्यापन के आधार पर यह तथ्य प्रकाश में आया कि इन बिन कुछ कराए इन कार्यों के नाम पर कूटरचित ढंग से अभिलेख और एमआईएस पर हेराफेरी की गई है। अधिकारियों के संज्ञान के बिना गुमचुप तरीके से डिजिटल सिग्नेचर का दुरूपयोग कर फर्जी तरीके से 80 लाख रुपये का भुगतान किया गया। 

जबकि दूसरी FIR में  48 लाख 22 हजार 191 रुपये  के गबन का केस दर्ज किया है। इसमें भी एपीओ विनय कुमार मौर्य ने लाइन डिपार्टमेन्ट हार्टिकल्चर विभाग में मस्टर रोल जारी किया और फीड किया गया। अफसरों के संज्ञान में लाए बिना पत्राचार 48 लाख 22 हजार 191 रुपए का फर्जी तरीके से गबन किया गया।

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