1. हिन्दी समाचार
  2. Breaking News
  3. Maha Kumbh 2025: हार्वर्ड के प्रोफेसर्स भी हुए महाकुंभ के मुरीद, बोले – ‘यह परंपरा और प्रौद्योगिकी का अद्भुत संगम’

Maha Kumbh 2025: हार्वर्ड के प्रोफेसर्स भी हुए महाकुंभ के मुरीद, बोले – ‘यह परंपरा और प्रौद्योगिकी का अद्भुत संगम’

दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम महाकुंभ ने विश्व प्रसिद्ध हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर्स को भी प्रभावित कर दिया है। उनका कहना है कि महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह आध्यात्मिकता, वाणिज्य, परंपरा और तकनीक के संगम का बेहतरीन उदाहरण है।

By: Rekha 
Updated:
Maha Kumbh 2025: हार्वर्ड के प्रोफेसर्स भी हुए महाकुंभ के मुरीद, बोले – ‘यह परंपरा और प्रौद्योगिकी का अद्भुत संगम’

दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम महाकुंभ ने विश्व प्रसिद्ध हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर्स को भी प्रभावित कर दिया है। उनका कहना है कि महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह आध्यात्मिकता, वाणिज्य, परंपरा और तकनीक के संगम का बेहतरीन उदाहरण है। बुधवार को महाशिवरात्रि के पावन स्नान के साथ इस भव्य आयोजन का समापन होगा।

न्यूयॉर्क में भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने किया विशेष कार्यक्रम

अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में भारतीय महावाणिज्य दूतावास द्वारा ‘इनसाइट फ्रॉम वर्ल्ड लार्जेस्ट स्प्रिचुअल गैदरिंग – महाकुंभ’ नामक एक विशेष चर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल और डिविनिटी स्कूल के जाने-माने प्रोफेसर्स जैसे पाउलो लेमन, डायना ईसीके, तरुण खन्ना और तियोना जुजुल ने हिस्सा लिया।

महाकुंभ के आध्यात्मिक और तकनीकी पहलुओं पर हुई चर्चा

इस चर्चा के दौरान प्रोफेसर्स ने वर्ष 2013 के महाकुंभ के अपने अनुभव साझा किए और इस साल के आयोजन में आध्यात्मिकता, प्रौद्योगिकी, प्रशासन और अर्थव्यवस्था के अद्भुत समन्वय पर गहराई से चर्चा की।

हार्वर्ड प्रोफेसर्स ने महाकुंभ की अनूठी व्यवस्थाओं की सराहना की

प्रोफेसर तरुण खन्ना ने कहा, “महाकुंभ परंपरा और प्रौद्योगिकी के संगम का अनोखा उदाहरण है। इसी तरह कोई समाज विकसित होता है, जहां धर्म और तकनीक एक-दूसरे से मिलते हैं।” प्रोफेसर डायना ईसीके ने बेहद कम समय में महाकुंभ मेला क्षेत्र की अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ तैयार किए जाने की सराहना की।

प्रोफेसर तियोना जुजुल ने कहा, “महाकुंभ में व्यापार और अर्थव्यवस्था का आध्यात्मिकता से जुड़ाव साफ दिखता है। रसद आपूर्ति की चुनौती से जिस कुशलता से निपटा जाता है, वह काबिले तारीफ है।”

महाकुंभ 2025: अब तक 66 करोड़ श्रद्धालु लगा चुके हैं पवित्र डुबकी

गौरतलब है कि 13 जनवरी 2025 से शुरू हुए महाकुंभ में अब तक 66 करोड़ श्रद्धालु संगम में पुण्य की डुबकी लगा चुके हैं। प्रोफेसर जुजुल ने उम्मीद जताई कि वह 2037 के महाकुंभ में फिर से भारत आने की इच्छा रखती हैं।

महाशिवरात्रि स्नान के साथ होगा महाकुंभ 2025 का समापन

इस भव्य आयोजन का समापन महाशिवरात्रि (बुधवार) के पावन स्नान के साथ होगा। महाकुंभ ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि यह सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, प्रशासनिक क्षमता और आधुनिक

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...