कोसली, बरेली, रेवाड़ी में एक सार्वजनिक संबोधन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ब्रिटिश प्रस्थान और कांग्रेस के वैचारिक बदलाव के बीच समानताएं बताईं। कांग्रेस ने सोमनाथ के मंदिर का विरोध किया इतिहास गवाह है।
डॉ. यादव ने कहा कि भारतीय मूल्यों को बनाए रखना महत्वपूर्ण है, उन्होंने बताया कि कैसे 1835 में लॉर्ड मैकाले की शिक्षा योजना में हिंदू देवताओं पर अध्याय शामिल नहीं थे। उन्होंने विदेशी नेताओं को उपहार के रूप में पवित्र गीता देने के लिए पीएम मोदी की सराहना की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करी
उन्होंने आगे कहा कि, ‘पहले अमेरिका के राष्ट्रपति आते थे तो भेंट के रूप में ताजमहल की प्रतिकृति देते थे, पर आज मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पवित्र गीता का ज्ञान उन्हें भेंट करते हैं। यह कह सकते हैं कि जो राम का नहीं, वो किसी काम का नहीं। उन्होंने कहा कि हरियाणा की धरती पर जब महाभारत का महायुद्ध हुआ। उस युद्ध की धमक से दुनिया दहल उठी थी। ऐसे कठिन समय में भी, जिसने शिक्षा ग्रहण की थी, उस समय में उनके मुख से 18 अध्याय की पवित्र गीता निकली।’
उन्होंने यह कहकर अपनी बात समाप्त की कि राम के बिना किसी भी चीज़ का कोई महत्व नहीं है।