रिपोर्ट: नंदनी तोदी
लखनऊ: बॉलीवुड फिल्म ‘एक था टाइगर’ तो सभी ने देखी होगी। सलमान खान उस फिल्म में रॉ एजेंट का किरदार निभाते नज़र आएं थे। उस फिल्म में दिखाया गया कि तरह रॉ एजेंट्स को ऐशो आराम से भरी ज़िन्दगी मिलती है। पर मुद्दा ये है कि क्या असल ज़िन्दगी के रॉ एजेंट्स की भी ज़िन्दगी ऐसी होती है।
दरअसल, नजीबाबाद के रहने वाले मनोज रंजन दीक्षित पूर्व रॉ एजेंट है लकिन उनके पास रहने को न घर न खाने को खाना। जब मदद के लिए डीएम दफ्तर गए तो उन्हें वह से कोई मदद नहीं मिली।
आपको बता दें, वर्ष 1985 में मनोज रंजन दीक्षित को नजीबाबाद से चुना गया। दो बार सैन्य प्रशिक्षण के बाद उन्हें कश्मीरियों के साथ पाकिस्तान भेजा गया था। 1992 में उन्हें पाकिस्तान में जासूसी के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था। जिसके बाद उन्हें कराची जेल ले जाया गया।
साल 2007 में पाकिस्तान जेल से छूटने के बाद वे लखऊ वापस लौट आये और शादी रचा ली। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण उनकी पअतनी की कैंसर से मृत्यु हो गई।
भारत लौटने के बाद पूर्व रॉ एजेंट को भारत से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली। ये खबर सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल हो गई है। ‘टाइगर जिंदा तो है पर दाने दाने को मोहताज’ खबर सोशल मीडिया पर काफी छा गई।
जिसके बाद गोरखपुर, गाजियाबाद, दिल्ली के अलावा देश भर से उनके लिए लोगों ने मदद के हाथ बढ़ाये हैं। कई उन्हें नौकरी देने का आश्वासन दे रहे हैं तो वही, दिल्ली निवासी समाजसेवी और स्वतंत्रता सेनानी हरपाल राणा सोमवार को मनोज रंजन दीक्षित से मिलने लखनऊ गई।
आपको बता दें, ये खबर फेसबुक, ट्विटर, को, टूटर, शेयरचैट और व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सामने आए गई है। जिसके बाद कई उसर्स उनकी मदद के लिए मांग कर रहे हैं तो वहीं कई सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि सरकार को ऐसे देशभक्तों का ध्यान रखना चाहिये और उनके सम्मानजनक जीवन की व्यवस्थायें बनानी चाहिये।