रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: पीएम मोदी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में लखीमपुर खीरी के लोकसभा सांसद अजय मिश्र उर्फ टैनी महाराज को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। दूसरे कार्यकाल में हुए पहले कैबिनेट विस्तार में 43 नेताओं में सात नाम उत्तर प्रदेश से हैं। जिसमें अजय मिश्र भी शामिल हैं। अजय मिश्र केंद्रीय मंत्री बनने के साथ ही दिल्ली पहुंच गये। यूपी में अगले साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी ने इसके लिए तैयारियां भी शुरू कर दी है।
आपको बता दें कि अजय मिश्र को लखीमपुर खीरी और सीतापुर में लोग टैनी महाराज के नाम से भी जानते हैं। उनके राजनीतिक करियर की बात करें तो वो साल 2012 में विधायक बने थे। इसके बाद साल 2014 में पहली बार कांग्रेस के जफर अली नकवी को हराकर लोकसभा सांसद बने।
अवध क्षेत्र में इनको ब्राम्हण समुदाय का बड़ा नेता माना जाता है। हाल ही में जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद ब्राम्हण नेताओं के रूप में जितिन और अजय के बीच संघर्ष जैसी स्थिति बन सकती थी। लेकिन इन सभी आशंकाओं को खारिज करते हुए टैनी महाराज को मोदी सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया।
मोदी सरकार में अजय मिश्र का मंत्री बनने का एक ही कारण है कि उनकी साफ-सुथरी छवि और लंबे समय से संघ परिवार से जुड़ा होना। इसके साथ ही अजय मिश्र हिंदूवादी नेता माने जाते हैं। जब यूपी में अखिलेश यादव की सरकार थी तब वे हिंदुओं के पक्ष में खुलकर बयानबाजी करते थे जिसे लेकर कई बार विवाद भी हुआ। अजय मिश्र बचपन से संघ की शाखाओं में जाते थे और स्वयंसेवक के रूप में दशकों तक काम किया।
अजय मिश्र का जन्म 25 सितम्बर 1960 को लखीमपुर खीरी के निघासन में बनबीरपुर में हुआ। साल 2007 में यूपी विधानसभा चुनाव और 2009 लोकसभा चुनाव में हार के बाद 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में पहली बार जीती मिली थी। इसके बाद 2014 में 16वीं लोकसभा के लिए खीरी से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुने गए। उन्होंने 2,88,304 मतों से कांग्रेस पार्टी के अरविंद गिरि को हराया।
आपको बता दें कि लखीमपुर खीरी और उसके आसपास के क्षेत्र में भले ही अजय मिश्र की शैली आक्रामक और धाकड़ नेता की मानी जाती हो लेकिन संसद में उनका आचरण सराहनीय रहा है। उनके सभ्य और आदर्श आचरण के लिए उन्हें संसद रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। यह सम्मान हासिल करने वाले अजय मिश्र यूपी के पहले सांसद हैं। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पहल पर 2010 में इस अवार्ड को शुरू किया गया था।