पीएम मोदी के गोद लिए गांव में भूख से पीड़ितों पर स्टोरी करने पर स्क्रोल वेबसाइट की पत्रकार सुप्रिया शर्मा पर वाराणसी के रामनगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है।
माला देवी नाम की महिला ने सुप्रिया के खिलाफ ये मुकदमा दर्जा कराया है। उन्होंने शिकायत में लिखा है कि लॉकडाउन के दौरान खाने से संबंधित ऐसी कोई समस्या नहीं आई जो सुप्रिया ने अपनी स्टोरी में दिखाने की कोशिश की है।
सुप्रिया के खिलाफ आईपीसी सेक्शन 269 (किसी बीमारी को फैलाने में की गई लापरवाही) और 501 (मानहानि) के अलावा SC/ST एक्ट, 1989 के सेक्शन 3 के तहत एफआईआर दर्ज हुई है।
अब सुप्रिया शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने पर पत्रकारों के संगठन ने कड़ी निंदा की है। इनमें ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (EGI) भी शामिल है।
इसके अलावा नेटवर्क ऑफ वुमेन इन मीडिया, इंडिया और ‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट ने भी उनकी गिरफ्तारी की निंदा की है।
नेटवर्क ऑफ वुमेन इन मीडिया, इंडिया’ ने भी ‘स्क्रॉल’ की महिला पत्रकार के खिलाफ लिए गए एक्शन की कड़ी निंदा की है। नेटवर्क ने कहा कि इस तरह के मामलों से एक पत्रकार और छोटे मीडिया संगठनों का नेटवर्क खत्म हो जाता है।
‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट’ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों को पत्रकार सुप्रिया शर्मा पर की जा रही आपराधिक जांच को तुरंत बंद कर देना चाहिए।
CPJ की वरिष्ठ शोधकर्ता, आलिया इफ्तिखार ने कहा, ‘प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में अपने काम को ईमानदारी से निर्वाह करने के लिये के एक पत्रकार के ऊपर जांच शुरू करना स्पष्ट रूप से डराने की रणनीति है