मनीला: कोरोना महामारी के बीच फिलीपींस के पूर्वी तटीय इलाकों में ‘गोनी’ तूफान के बाद सबसे ताकतवर ‘वाकमो’ तूफान (Typhoon Vamco) ने दस्तक दी है। पूर्वी तटीय इलाकों में तेज बारिस के साथ हवाएं चल रही है। तूफान की रफ्तार 155 किलोमीटर तक आंकी गई है। तूफान की तीव्रता को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है।
कैटांडांडेस प्रांत के गवर्नर जोसेफ कुआ ने कहा तूफान की तीव्रता को देखते हुए तटीय इलाकों में रहने वालो नागरिकों को सचेत किया है। वामको इस साल फिलीपींस को टक्कर देने वाला 21वां उष्णकटिबंधीय तूफान है। बता दें कि राजधानी मनीला के दक्षिण-पूर्व में स्थित अलबे के पास अक्टूबर के अंत में टाइफून गोनी का कहर बरपा था। इस तूफान के चलते 25 लोगों की मौत हो गई और छह लोग लापता हैं।
मौसम विभाग का कहना कि बुधवार की शाम तक को ‘वाकमो’ (Typhoon Vamco) तूफान के चलते पोलिलियो द्वीप में जबरदस्त लैंडफॉल हो सकता है। इसके चलते देश के उत्तरी प्रांतों में धान की खेती को बड़ा नुकसान होगा। पोलीलियो की मेयर क्रिस्टीना बोस्क ने कहा कि तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को घरों को छोड़ने का आदेश दिया गया है।
उन्होंने कहा कि वाकमो कोरोना महामारी के लिए तैयार किए गए केंद्रों के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। दरअसल, फिलीपींस प्रशासन ने कोरोना संकट के दौरान जिन जगहों पर क्वारनटीन सेंटर में तब्दील किया था, अब उन्हीं जगहों पर पीडि़त लोगों को शिफ्ट किया जा रहा है। ऐसे में यह आशंका है कि कोरोना का प्रसार बढ़ सकता है।
मौसम विभाग का अनुमान है कि फिलीपींस के बाद यह वियतनाम में दस्तक देगा। वियतनाम की मौसम विभाग का कहना है कि वामको तूफान रविवार तक दस्तक दे सकता है। इसके चलते वियतनाम में तीव्र बारिश की आशंका व्यक्त की गई है। पिछले महीने बाढ़ और भूस्खलन ने वियतनाम में कम से कम 160 लोगों की जान ले ली, दर्जनों लोग लापता हैं। कई घर क्षतिग्रस्त हुए थे।
टायफून एक कम दबाव का एक ऐसा तूफान है, जो समुद्र के गर्म इलाकों से उत्पन्न होता है। प्रारंभिक अवस्था में इसे तूफान कहा जाता है, लकिन जब इसकी भीतरी हवाओं के रफ्तार 120 किलोमीटर प्रतिघंटा या इससे ज्यादा हो जाती है तो इसे टायफून का नाम दिया जाता है। टायफून पश्चिमी प्रशांत महासागर से उठता है। यह जापान, ताइवान, फिलीपींस या पूर्वी चीन की ओर बढ़ता है। एशिया में आने वाला तूफान सामान्यतया जून से नवंबर के बीच में आता है, लेकिन अगस्त से सितंबर में इसका सबसे ज्यादा खतरा बना रहता है।