वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने मंगलवार को कहा कि भारत को पश्चिमी और उत्तरी मोर्चों सहित भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए समूची सैन्य शक्ति को मजबूत करने की आवश्यकता है।
एअर चीफ मार्शल भदौरिया ने एक ऑनलाइन सेमिनार में पूर्वी लद्दाख विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के साथ कोई भी बड़ा संघर्ष चीन की वैश्विक आकांक्षाओं और ‘‘बड़ी योजनाओं’’ के लिए ठीक नहीं है। सेमिनार का आयोजन थिंक टैंक विवेकानंद फाउंडेशन ने किया।
भदौरिया ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन की कार्रवाई पूरी तरह ‘‘सैन्य प्रभाव वाला दुस्साहस’’ भी हो सकता है जो कोरोना के बाद उसके समक्ष पैदा हुए विश्वास के संकट का परिणाम हो सकता है।
वायु सेना प्रमुख ने कहा कि अमेरिका के अफगानिस्तान से बाहर निकलने के बाद से चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए रास्ते खुल गए हैं। आरके भदौरिया ने कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक मोर्चे पर अस्थिरता ने चीन को अपनी ताकत का प्रदर्शन करने का मौका दिया है। और अप्रत्यक्ष रूप से यह वैश्विक सुरक्षा को लेकर प्रमुख शक्तियों के योगदान को भी सामने लाया है।
चीन के साथ गतिरोध पर आईएएफ चीफ ने कहा कि वैश्विक मोर्चे पर भारत और चीन के बीच संघर्ष किसी भी दृष्टिकोण से अच्छा नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि यदि चीन वैश्विक आकांक्षाएं रखता है तो यह उनके प्लान के अनुरूप नहीं है। चीन क्या चाहता है उत्तर में उनकी कार्रवाई से ये साफ पता चलता है कि उनका उद्देश्य क्या है। हमें यह पता है कि चीन को उसके इस कदम से क्या हासिल किया।
उन्होंने कहा कि भारत को पश्चिमी और उत्तरी मोर्चों सहित भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए समूची सैन्य शक्ति को मजबूत करने की आवश्यकता है। भदौरिया ने यह भी कहा कि वायुसेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध को लेकर भारतीय वायु सेना के प्रमुख ने कहा कि हमने सभी आवश्यक कदम उठाए हैं। बता दें कि पूर्वी लद्दाख में पिछले कुछ महीनों से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। एलएसी पर भारत और चीन के सैनिक भारी ठंड में भी पीछे नहीं हटे हैं।
वायुसेना प्रमुख ने पाकिस्तान पर कहा कि पाकिस्तान तेजी के साथ पाकिस्तानी नीतियों को मोहरा बन गया है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के तहत बढ़ते कर्ज के चलते उसकी भविष्य में सैनिकों पर निर्भरता बढ़ जाएगी।