रिपोर्ट: सत्यम दुबे
वाराणसी: बाबा विश्वनाथ की नगरी और प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में बाढ़ से हाहाकार मच गया है। गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं हैं। यहां एक-दो सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उतार-चढ़ाव जारी है। सबसे चिंता की बात यह है कि बढ़ाव में कोई कमीं नहीं दिख रही है। जिन इलाकों में गंगा का पानी कभी नहीं पहुंचा था, अब उन इलाके भी बाढ़ आ गई है।
आपको बता दें कि मंगलवार रात बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ट्रामा सेंटर तक सामने घाट से होते हुए गंगा का पानी पहुंच गया है। वहीं रामनगर पुल से बीएचयू ट्रामा सेंटर तक जाने वाली सड़क लबालब है। सामने घाट जाने वाली सड़क पूरी तरीके से गंगा में डूब गई है। लोगों ने बताया कि रात में अचानक गंगा ने यह रौद्र रूप धारण किया है।
वहां के लोगो ने बताया कि साल 2013 में कुछ ऐसा ही नजारा था, लेकिन इस बार गंगा यहां तक पहुंच गयी। बुधवार सुबह सात बजे तक गंगा का जलस्तर 72.01 मीटर दर्ज किया गया। अभी भी गंगा एक सेमी प्रति घंटे की रफ़्तार से बढ़ रहीं हैं। बाढ़ आने से लोग के जनजीवन पर काफी असर पड़ा है। रिहायसी इलाको में सैकड़ो परिवार अब तक पलायन कर चुके है।
NDRF की टीम लगातार गश्त कर रही है और जो कोई भी उनसे मदद मांग रहा उसे मदद पहुंचा रही है। बाढ़ग्रस्त इलाकों के लोगों को निकाल सुरक्षित स्थान पहुंचाने से लेकर पानी की बोतल तक NDRF की टीम मुहैया करा रही है।
मौजूदा वक्त में वाराणसी में गंगा खतरे के निशान से ऊपर 72 मीटर तक जा चुकी हैं। खतरे के निशान से लगभ एक मीटर ऊपर गंगा का जलस्तर पहुंच चुका है। जिसके कारण गंगा अब शहर में प्रवेश कर चुकी हैं।