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देश-दुनिया के इतिहास में आज के दिन की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, पढ़ें

 इतिहास से अच्छा शिक्षक कोई दूसरा हो ही नहीं सकता। इतिहास सिर्फ अपने में घटनाओं को नहीं समेटे होता है बल्कि इन घटनाओं से भी आप बहुत कुछ सीख सकते हैं। हर गुजरता दिन इतिहास में कुछ घटनाओं को जोड़कर जाता है। भारत के उत्तराखण्ड राज्य में 26 मार्च 1973 में किसानो ने वृक्षों की कटाई का विरोध करने के लिए एक पर्यावरण-रक्षा का आन्दोलन किया जिसे चिपको आन्दोलन कहा गया है।

By RNI Hindi Desk 
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इतिहास से अच्छा शिक्षक कोई दूसरा हो ही नहीं सकता। इतिहास सिर्फ अपने में घटनाओं को नहीं समेटे होता है बल्कि इन घटनाओं से भी आप बहुत कुछ सीख सकते हैं। हर गुजरता दिन इतिहास में कुछ घटनाओं को जोड़कर जाता है। भारत के उत्तराखण्ड राज्य में 26 मार्च 1973 में किसानो ने वृक्षों की कटाई का विरोध करने के लिए एक पर्यावरण-रक्षा का आन्दोलन किया जिसे चिपको आन्दोलन कहा गया है।

चिपको आन्दोलन क्या होता है पेड़ पौधों को बचाने के लिए आज से करीब 50 साल पहले भारत में एक अनोखा आंदोलन किया गया था। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए पेड़ पौधं का इसमें बड़ा योगदान होता है और इसी पेड़ पौधों को काटने से बचाने के लिए इस अनोखे आंदोलन की शुरुआत की गई थी।

इस आंदोलन की जनक गौरा देवी, सुदेशा देवी और बचनी देवी को कहा जाता है जिसके जरिए इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी। सबसे पहले इन्हीं तीनों महिलाओं ने जंगलों को बचाने की मुहिम छेड़ी थी। इस कड़ी में इन्होंने पेड़ों से चिपककर खड़े रहना मुनासिब समझा लेकिन पेड़ों को काटने देने के लिए तैयार नहीं हुई। इन्हीं को देखकर बड़ी संख्या में महिलाओं ने इनका अनुकरण किया और वे भी पेड़ों से चिपककर आंदोलन करने लगीं। धीरे-धीरे इस आंदोलन ने बड़ा रुप ले लिया और इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया क्यों हुई थी शुरुआत यह एक सरकारी आदेश के विरोध में शुरू हुआ था। जंगल की जमीन को एक स्पोर्ट्स कंपनी को दिए जाने का आदेश सरकार ने पास कर दिया था। इस आदेश के बाद कंपनी जंगल के उस हिस्से में आने वाले सारे पेड़ पौधों को काटने जा रही थी जिसके विरोध में ग्रामीणों ने ये विरोध शुरू किया था।

ग्रामीणों का सब्र का बांध तब टूट गया जब जनवरी 1974 में सरकार ने अलकनंदा के ऊपर के जंगल में आने वाले ढाई हजार पेड़ों की नीलामी की घोषणा कर दी आपको जानकर हैरानी होगी की जंगलों की रक्षा करने के लिए महिलाओं ने हफ्ते दिन तक दिन रात पेड़ों से अपने आप को चिपकाए रखा। चिपको आंदोलन महात्मा गांधी के आदर्शों पर शांतिपूर्ण ढंग से शुरू किया गया विरोध प्रदर्शन था। इसमें ना कोई नारेबाजी थी और ना ही कोई हिंसा। बिना शोर शराबे के शांतिपूर्ण ढंग से इस शक्तिशालि विरोध प्रदर्शन को अंजाम दिया गया था शेख मुजीबुर्रहमान ने 26 मार्च 1971 में पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र देश घोषित किया इसलिए आज के दिन बांग्लादेश स्वंतत्रता दिवस मनाता है।

26 मार्च को जन्मे व्यक्ति हिन्दी कवयित्री और हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च  1907 में हुआ था उनके कहे गए एक-एक शब्द करुणा और त्याग जैसे भावों को हम सभी से रूबरू कराते हैं। महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तम्भों में से एक महत्वपुर्ण स्ंतभ मानी जाती हैं. उनके काव्य में भावनाओं की गहनता के चलते उन्हें आधुनिक युग की मीरा कहा जाता है 26 मार्च को हुए निधन 26 मार्च  2006 में भारतीय राजनीतिज्ञ अनिल बिस्वास का निधन।

देश दुनिया के इतिहास में 26 मार्च की तारीख पर दर्ज अन्य प्रमुख घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस तरह है:-

 

922 : ईरानी सूफी संत और कवि मंसूर अल-हल्लाज का निधन।

 

1907 : कवयित्री महादेवी वर्मा का जन्म।

 

1953 : डॉ जोनास साल्क ने पोलियो से बचाव के लिए नए टीके की खोज की घोषणा की।

 

1971: शेख मुजीबुर्रहमान ने बांग्लादेश को स्वतंत्र देश घोषित किया।

 

1972 : तत्कालीन राष्ट्रपति वी वी गिरी ने पहले अन्तरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन का उद्घाटन किया।

 

1973 : गूगल के सह-संस्थापक और कम्प्यूटर वैज्ञानिक लैरी पेज का जन्म।

 

1973: लंदन स्टॉक एक्सचेंज में महिलाओं की भर्ती की शुरुआत।

 

1975 : जैविक हथियार संधि अस्तित्व में आई।

 

1979 : अमेरिका में मिस्र-इजराइल समझौते पर हस्ताक्षर हुये।

 

2020 : कोरोना वायरस से दुनियाभर में मरने वालों की संख्या 21 हजार से अधिक हुई। यूरोप में महामारी के मामले 2,50,000 के पार।

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