ज्योतिष में मुख्यत: 9 ग्रहों को मान्यता दी गयी है जिमसें 2 ग्रह राहु और केतु छाया ग्रह है। इन दोनों ग्रहों की अपनी कोई राशि नहीं होती है लेकिन ये जिस राशि में बैठ जाते है या जिस ग्रह के साथ युति करते है उसके गुण ग्रहण करके उसी अनुसार फल देते है।
राहु और केतु हमेशा एक दूसरे से सप्तम होते है। अगर राहु लग्न में होगा तो केतु अपने आप सातवें भाव में होगा। राहु एक छाया ग्रह है और यह छल कपट का कारक है। ये भ्रम का कारक है। राजनीति, ज़मीन का सुख, सम्मान ये सब भी राहु से देखा जाता है।
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु ठीक नहीं है तो उसका सबसे बड़ा संकेत है उसके साथ साजिश का होना। एक ऐसा व्यक्ति जो जल्दी लोगों की बातों में आ जाता है और लोग उसे बेवकूफ बना देते है तो समझ जाइये उसका राहु ख़राब है। जिसका राहु कमजोर होता है वो तुरंत लोगों की बातों में आ जाएगा।
इसके अलावा राहु अपमान देता है ,अगर आप अपने परिवार के लिए, भाइयों या समाज के लिए खूब करते है लेकिन उसके बाद भी आपको सम्मान नहीं मिलता है तो ये ख़राब राहु की निशानी है।
अगर एक व्यक्ति के चरित्र में गिरावट हो रही है और वो नशे, मांस और जुआ खेलने जैसी आदतों का शिकार होने लगा है तो समझ जाइये की उसका राहु उसे बुरा फल दे रहा है। जिसकी कुंडली में राहु मजबूत होता है उसे धर्म की गहरी समझ होती है। उसे कोई पागल नहीं बना सकता है।
कुंडली में अगर बलवान राहु हो तो व्यक्ति राजनीतिक तौर पर सक्षम होता है ,उसके पोलिटिकल व्यूज बड़े स्ट्रांग होते है। जीवन के चालीस साल पुरे होने के बाद उसे ज़मीन का सुख प्राप्त होता है। वो बहुत ज़मीन का मालिक बनता है ,किसी ट्रस्ट का अध्यक्ष बन सकता है।