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अंतिम संस्कार के 10 दिन बाद जिंदा लौटा पति, पत्नी देखते ही चौंकी, घरवाले मुंडवा लिए थे सिर, हो रही थी तेरहवीं की तैयारी

By: RNI Hindi Desk 
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अंतिम संस्कार के 10 दिन बाद जिंदा लौटा पति, पत्नी देखते ही चौंकी, घरवाले मुंडवा लिए थे सिर, हो रही थी तेरहवीं की तैयारी

रिपोर्ट: सत्यम दुबे

राजसमंद(राजस्थान): कोरोना महामारी के दूसरे लहर का कहर लगातार जारी है। कोरोना से संक्रमित मरीज ऑक्सीजन और दवाईयों की कमीं से लगातार दम तोड़ रहें हैं। महामारी के दूसरे लहर ने कई हंसते-खेलते परिवारों को तबाह कर दिया है। इसी बीच राजस्थान के राजसमंद से एक ऐसा हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जिसे जानकर आपके भी होश उड़ जायेंगे। यहां एक युवक अपने अंतिम संस्कार के 10 दिन बाद जिंदा घर लौट आया। परिवार में मातम पसरा हुआ था, बच्चे और भाई सिर मुंडवा चुके थे। वह तेरहवीं की तैयारी कर रहे थे, लेकिन रसोई से दो दिन पहले जव वह जिंदा घर लौट आया तो परिजनों के साथ हर कोई चौंक गया।

शख्स को देखते ही पत्नी कहने लगी आप तो मर चुके थे कैसे जिंदा हो गए। तो युवक कहने लगा में जिंदा ही हूं कोई भूत नहीं। दरअसल, 11 मई को एक व्यक्ति का शव मिला था। जिसके बाद उसे आरके जिला अस्पताल पहुंचा दिया गया। इसके बाद जिला प्रशासन ने पुलिस को उसकी पहचान करने के लिए कहा। चेहरे की हालत इतनी ज्यादा खराब थी कि वह ठीक से पहचान नहीं दे रहा था। इसी दौरान 15 मई को हेड कांस्टेबल मोहनलाल अस्पताल पहुंचे और फोटो के आधार पर ओंकारलाल गाडोलिया लौहार नाम के युवक के भाई और उसके परिजनों को बुलाया गया।

जिसके बाद परिजनों ने ओंकारलाल के दाएं हाथ में कलाई से लेकर कोहनी तक चोट के निशान देखकर उसकी पहचान की और कहने लगे कि यह शव ओंकारलाल है। इसके बाद पुलिस ने शव उनको सौंप दिया और घरवालों ने अंतिम संस्कार कर दिया। औंकारलाल के भाई नानालाल गाडोलिया ने बताया कि पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने बिना पोस्टमार्टम करवाए ही पंचनामा बनाकर शव दे दिया था।

शव मिलते ही घरवालों ने औंकारलाल गाडोलिया लौहार समझकर अंतिम संस्कार भी कर दिया। पिछले 10 दिनों से परिवार में मातम पसरा हुआ था। लेकिन जब रविवार शाम औंकारलाल घर लौटा तो परिजन चौंक गए।  इसपर औंकारलाल ने बताया कि 11 मई को वो घर वालों को बिना बताए ही उदयपुर गया था। वहां पहुंचते ही उसकी अचानक तबीयत खराब हो गई। जिसके बाद वह यहां के एक अस्पताल में भर्ती हो गया। उसने आगे मैने परिजनों को इसलिए नहीं बताया कि वो डर जाते। 5 दिन बाद उसे रविवार को जब अस्पताल से छुट्टी मिली तो वह अपने घर लौट आया।

उसने आगे बताया कि जब वो घर लौटा तो उसकी फोटो पर माला चढ़ी थी, जिसे देखते ही वह हैरान था। वहीं उसके भाई व बच्चों ने सिर मुंडवा रखे थे। जैसे ही पत्नी ने मुझे देखा तो वह हैरान थी, कहने लगी कि आप तो मर गए थे, फिर कैसे जिंदा हो गए। इसके बाद औंकारलाल ने बताया कि वह उसका पति ही है, ना की कोई भूत, इसके बाद परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गई।

औकार के वापस आने से घर में खुशी का तो माहौल हो गया, लेकिन अब पुलिस और अस्पताल प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि जिस शव का अंतिम संस्कार करवा गया आखिर वह युवक कौन था। पुलिस ने शव का न तो पोस्टमार्टम कराया और न ही विसरा रिपोर्ट ली। अब ऐसे में पुलिस और आरके अस्पताल प्रशासन की गंभीर लापरवाही सामने आई है। जिस शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया हो उसके शिनाख्त कैसे किया जाए। यह सबसे बड़ी चुनौती बन हुई है।

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