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कोरोना वायरस के संकट से कैसे निपटेगी ये दुनिया ?

By RNI Hindi Desk 
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चीन के वुहान शहर में जब कोरोना वाइरस की दिसम्बर में पुष्टि हुई थी तब किसी ने भी यह नहीं सोचा होगा की इस एक वाइरस के कारण दुनिया सहम उठेगी। अब तक चीन की सरकार के आकंड़ो के मुताबिक 2300 से अधिक लोग मारे जा चुके है और लगभग दुनिया के 10 बड़े देशों में इस वायरस के लक्षण पाए जा चुके है।

इस वायरस का संक्रमण जेलों में फैलने की खबर के बीच चीनी राष्ट्रपति ने कहा है कि अभी इस बीमारी का भयानक रूप आना बाकी है। चीन सरकार के अनुसार अभी तक करीब 2300 लोगों की मौत हुई है।

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सिर्फ चीन ही नहीं बल्कि अब तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान जैसी जगहों में भी इस कोरोना वायरस की पुष्टि की जा चुकी है। वही दुनिया भर के देशों की तरह पाकिस्तान भी अपने प्रवेश द्वारों को बंद कर रहा है और चीन से आने वाली फ्लाइट कैंसिल कर दी गयी है वही भारत ने भी चीनी नागरिकों को मिलने वाले ई वीसा को अस्थायी तौर पर बंद कर दिया है।

आज इस कोरोना वायरस ने लगभग पूरी दुनिया को इसकी चपेट में ले लिया है और दुनिया भर में 1 लाख के करीब लोग इससे पीड़ित है और यह बहुत तेजी से फैल रहा है। दक्षिण कोरिया में तो 1700 से अधिक लोग इस बीमारी से पीड़ित बताये जा रहे है। इसके बाद सबसे खतरनाक ठिकाना ईरान बन गया है जहां 50 से अधिक लोग इस वायरस के कारण जान गवा चुके है।

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विश्व स्वास्थ्य संघठन भी इस बात को अब मान चुका है कि यह वायरस अब पूरी दुनिया के लिए चुनौती बन गया है, दुनिया भर के वैज्ञानिक अभी इसी पर माथापच्ची कर रहे है कि यह आखिरकार किसी लैब में बनाया गया या कहीं से आया ! चमगादड़ से या सांप से अभी इस पर भी सहमति नहीं बन पायी है और ना ही इसकी कोई दवाई अभी तक बनी है।

ऑक्सफ़ोर्ड इकोनॉमिक्स का आंकलन है कि अगर इस वायरस पर काबू नहीं पाया गया तो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को 11 खरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। चीन इसके पहले सार्स नामक वायरस की चपेट में आया था और वो था साल 2003, उस वक़्त दुनिया भर की जीडीपी में चीन की हिस्सेदारी सिर्फ 4 फीसदी थी लेकिन अब चीन की हिस्सेदारी बढ़कर 17 फीसदी है।

चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इसमें कोई दो राय नहीं है की पूरी दुनिया के बाज़ार चीन के उत्पादों से पटे पड़े है, दुनिया के सबसे बड़े कारखाने चीन में लगे हुए है और एक संकट एक ऐसे समय में आया है जब वर्ल्ड बैंक पहले ही यह कह चुका है की इकोनॉमी में अगले एक साल सुस्ती आ सकती है।

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दूसरी और भारत के नज़रिये से देखें तो हम इससे प्रभावित है लेकिन बुरी तरह नहीं, हालांकि शेयर मार्केट में पिछले 7 दिनों में निवेशकों के 5 लाख करोड़ डूब गए है और उसका सबसे बड़ा कारण है चीन के साथ हमारा बढ़ता आयात। भारत और चीन में व्यापार 90 अरब डॉलर है और इसमें आयात ज्यादा है और हमारा व्यापार घाटा भी अधिक है तो ऐसे में चीन का यह संकट अब चीन का नहीं बल्कि पूरी दुनिया का संकट बन गया है।

इस वक़्त यह तो साफ़ है कि दुनिया में किसी के पास इस वायरस से निपटने का कोई प्लान नहीं है और धीरे धीरे यह दुनिया के बाकी देशों को अपनी चपेट में लेता जा रहा है और भारत की सरकार को चाहिए की वो इस वायरस के कारण गिरती हुई अर्थव्यवस्था पर ध्यान दे।

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