देश में बीते दिनों किसान बिल पर राजनीति व किसानों का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। इस आंदोलन के मद्देनजर केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा एक बैठक बुलाई गई। इस बैठक में 30 किसान संगठन तो पहुंच लेकिन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इस बैठक में नहीं पहुंचे।
तोमर की गैर-मौजूदगी के चलते किसान नाराज हो गए और मंत्रालय के भीतर ही नारे लगाए और कृषि कानूनों के पन्ने फाड़े। उन्होंने यह भी कहा कि उनका आंदोलन जारी रहेगा।
किसान बिलों के पास होने के बाद ज्यादातर किसानों का मानना है कि उन्हें कॉर्पोरेट्स की दया पर छोड़ दिया जाएगा और कृषि थोक एपीएमसी मार्करों के जरिए उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिलेगा।
किसान यूनियन के नेता ने कहा कि हम वहां हो रही चर्चा से संतुष्ट नहीं थे इसलिए हम वहां से बाहर आ गए, हम इन काले कानूनों को खत्म कराना चाहते हैं। सचिव ने कहा कि वह हमारी मांगों को आगे बढ़ाएंगे। एक अन्य नेता ने कहा कि हम वहां से बाहर आ गए क्योंकि वहां मंत्री नहीं थे. हम चाहते हैं कि इन कानूनों को वापस ले लिया जाए।
पंजाब में किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने किसानों के प्रतिनिधिमंडल को दिल्ली बातचीत के लिए बुलाया था। किसानों का आरोप है कि सरकार पंजाब में नेताओं को फोन करके किसानों के खिलाफ भड़काने का काम कर रही है। बता दें कि बीते दिनों संसद भवन में किसान बिल पास किया गया था, जिसके बाद से लगातार विरोध प्रदर्शन देखने को मिले।
किसानों का आरोप है कि सरकार किसान बिल की आड़ में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य बंद करना चाहती है। सरकार चाहती है कि जो केंद्रीय एजेंसियां किसानों से अनाज खरीदती हैं, उसे भी बंद कर दिया जाए। किसानों ने कहा कि इससे उन्हें यह डर कि ऐसा होने पर वह बंधुआ मजदूर बन जाएंगे।