प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (East Asia Summit) में एक नया इतिहास रच दिया, जब उन्हें उद्घाटन भाषण के तुरंत बाद संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया। यह पहली बार हुआ है जब किसी नेता को इतनी प्रमुखता दी गई है। इस महत्वपूर्ण मंच पर पीएम मोदी की उपस्थिति ने भारत की भूमिका और आसियान में उसकी केंद्रीयता को और मजबूत किया है।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन की पृष्ठभूमि
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) की शुरुआत 2005 में मलेशिया के कुआलालंपुर में हुई थी। इसमें शुरुआत में 16 सदस्य देश थे, जिनमें आसियान के सदस्य देश, ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया शामिल थे। 2011 में अमेरिका और रूस भी इस मंच का हिस्सा बने। इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देना है।
प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन पीएम मोदी ने अपने संबोधन में भारत के ‘इंडो-पैसिफिक महासागरों की पहल’ और आसियान आउटलुक के बीच की समानताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से आसियान की एकता और केंद्रीयता का समर्थन करता रहा है। इसके साथ ही, उन्होंने क्वाड सहयोग और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की भूमिका को भी रेखांकित किया। पीएम मोदी ने कहा कि एक स्वतंत्र, खुला, समावेशी और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक पूरे क्षेत्र की शांति और समृद्धि के लिए आवश्यक है।
भारत की एक्ट ईस्ट नीति पीएम मोदी की इस यात्रा का विशेष महत्व है क्योंकि इस वर्ष भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के 10 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस नीति का उद्देश्य पूर्वी एशियाई देशों के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करना है। पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान, उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से भी मुलाकात की और अमेरिका में तूफान मिल्टन से जान गंवाने वालों के प्रति शोक व्यक्त किया।
लाओस यात्रा और भारतीय प्रवासियों से मुलाकात प्रधानमंत्री मोदी लाओस की राजधानी वियनतियाने पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। पीएम मोदी ने भारतीय प्रवासियों से भी बातचीत की और भारत-लाओस संबंधों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्हें औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया, जो उनकी यात्रा की महत्ता को दर्शाता है।