दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत को एक पत्र लिखते हुए 5 महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। केजरीवाल ने भाजपा और केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जिस दिशा में बीजेपी देश और राजनीति को ले जा रही है, वह देश के लोकतंत्र और भविष्य के लिए हानिकारक है।
केजरीवाल ने पत्र में कहा कि वह एक सामान्य नागरिक के रूप में देश के मौजूदा हालात को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने पूछा कि क्या सत्ता हासिल करने के लिए ईडी-सीबीआई के दुरुपयोग और भ्रष्टाचारियों के साथ सरकार बनाना आरएसएस के सिद्धांतों के अनुकूल है?
केजरीवाल के 5 मुख्य सवाल
1.सरकार गिराने की साजिश: क्या किसी चुनी हुई सरकार को ईडी-सीबीआई के डर से या लालच देकर गिराना लोकतंत्र के लिए सही है? क्या आरएसएस ऐसी राजनीति को स्वीकार करता है?
2.भ्रष्ट नेताओं का समर्थन: उन्होंने सवाल किया कि जिन नेताओं को भाजपा पहले भ्रष्ट कहती थी, उन्हीं के साथ बाद में सरकार बनाना क्या उचित है? क्या आरएसएस को यह सब देखकर कष्ट नहीं होता?
3.बीजेपी को सही मार्ग दिखाने की जिम्मेदारी: केजरीवाल ने पूछा कि भाजपा आरएसएस की कोख से जन्मी पार्टी है, तो क्या आरएसएस ने कभी भाजपा को गलत कार्यों से रोकने की कोशिश की?
4.जेपी नड्डा का बयान: केजरीवाल ने नड्डा के उस बयान का जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा को अब आरएसएस की जरूरत नहीं है। उन्होंने भागवत से जानना चाहा कि इस बयान पर उनकी क्या प्रतिक्रिया है?
5.75 वर्ष की आयु सीमा का कानून: आप सबने मिलकर कानून बनाया कि 75 साल की उम्र के बाद बीजेपी नेता रिटायर ही जाएंगे। इस कानून का खूब प्रचार किया गया और इसी क़ानून के तहत आडवाणी जी और मुरली मनोहर जोशी जी जैसे कई कद्दावर बीजेपी नेताओं को रिटायर किया गया। पिछले दस वर्षों में इस कानून के तहत अन्य कई बीजेपी नेताओं को रिटायर किया गया जैसे खंडूरी जी, शांता कुमार जी, सुमिता महाजन जी आदि। अब अमित शाह जी का कहना है कि यो क़ानून मोदी जी पर लागू नहीं होगा। क्या इस पर आपकी सहमति है कि जिस कानून के तहत आडवाणी जी को रिटायर किया गया, वो कानून अब मोदी जी पर लागू नहीं होगा? क्या सबके लिए क़ानून समान नहीं होना चाहिए?
अरविंद केजरीवाल ने इस पत्र के माध्यम से भारतीय लोकतंत्र को बचाने और मजबूत करने की अपील की है, साथ ही उम्मीद जताई कि मोहन भागवत इन सवालों पर विचार करेंगे और जनता को उनके जवाब देंगे।