दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने आगामी दिल्ली चुनाव के लिए एक और बड़ा वादा किया है। पार्टी ने घोषणा की है कि दिल्ली में हर परिवार को 25 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जाएगा। इसे ‘जीवन रक्षा योजना’ का नाम दिया गया है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस योजना की घोषणा करते हुए कहा कि यह योजना दिल्लीवासियों के लिए एक बड़ी सुरक्षा प्रदान करेगी।
यह योजना राजस्थान में गहलोत सरकार के द्वारा लागू की गई थी और कोरोना काल में ‘भीलवाड़ा मॉडल’ के रूप में यह बेहद लोकप्रिय रही थी। अब उसी मॉडल को दिल्ली में लागू करने का वादा किया गया है, जिससे आम आदमी पार्टी के दिल्ली के स्वास्थ्य मॉडल को बेहतर विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। इस योजना में अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद घर पर स्वास्थ्य लाभ लेने के दौरान दवाओं का खर्च भी सरकार उठाएगी।
कांग्रेस की रणनीति और घोषणाएं
कांग्रेस ने पहले कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को दिल्ली बुलाकर महिलाओं के लिए 2500 रुपये महीना देने का वादा किया था, जो कि आम आदमी पार्टी के 2100 रुपये के वादे का जवाब माना जा रहा था। अब, पार्टी ने अशोक गहलोत को दिल्ली लाकर इस बड़ी घोषणा को किया। इसके साथ ही कांग्रेस दिल्ली चुनावी मैदान में अपनी ताकत को फिर से साबित करने के प्रयास में नजर आ रही है।
गहलोत ने कहा, “यह योजना लोगों को सुरक्षा प्रदान करेगी, और दिल्ली में इसे काफी पसंद किया जाएगा।”
क्या बदली कांग्रेस की रणनीति?
कांग्रेस पार्टी एक साथ दोहरी रणनीति अपनाती दिख रही है। एक तरफ वह दिल्ली के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए बड़े वादे कर रही है, वहीं दूसरी तरफ, उसने अरविंद केजरीवाल पर आक्रामक होने से परहेज किया है। पार्टी के अंदर इसे राष्ट्रीय राजनीति की मजबूरी माना जा रहा है। हालांकि, दिल्ली के कार्यकर्ता इस रणनीति से असमंजस में हैं और मानते हैं कि इस तरह कांग्रेस को दिल्ली में मजबूती से खड़ा करना असंभव हो जाएगा।
कांग्रेस ने पहले अजय माकन को आगे करके केजरीवाल पर आक्रामक चुनाव अभियान शुरू किया था, और उन्हें ‘देशद्रोही’ तक कह दिया था। इससे दिल्ली में चर्चा थी कि कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए बेचैन है। लेकिन अचानक पार्टी ने माकन को पीछे खींच लिया, और आक्रामक रुख को बदल दिया। इस बदलाव को पार्टी की कमजोरी के रूप में देखा जा रहा है।
केजरीवाल को इस बदलाव का अच्छी तरह से एहसास हुआ है कि अगर कांग्रेस मजबूत होती है, तो उनका वोट बैंक प्रभावित हो सकता है, जिससे उनकी सत्ता खतरे में पड़ सकती है। इस स्थिति का फायदा भाजपा को हो सकता है, और इसलिए पार्टी ने माकन को शांत करने की कोशिश की।