नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2015 को पानीपत, हरियाणा में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की थी। इस योजना ने पिछले एक दशक में बाल लिंग अनुपात (CSR) और महिला सशक्तिकरण के मुद्दों पर बड़े बदलाव किए हैं। प्रधानमंत्री ने इस योजना के 10 साल पूरे होने पर कहा कि इस पहल ने लैंगिक भेदभाव को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और बालिकाओं को शिक्षा और अपने सपनों को पूरा करने के अवसर दिए हैं।
महत्वपूर्ण पहल की 10वीं वर्षगांठ
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “आज हम बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ आंदोलन के 10 साल पूरे कर रहे हैं। यह एक परिवर्तनकारी पहल बन चुकी है, जो लोगों द्वारा संचालित है और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों की भागीदारी से सफल हुई है।” इस योजना ने ऐतिहासिक रूप से कम बाल लिंग अनुपात वाले जिलों में उल्लेखनीय सुधार लाया है और जागरूकता अभियानों ने लैंगिक समानता के महत्व को आम लोगों तक पहुंचाया है।
नवीनतम संकल्प और भविष्य का मार्गदर्शन
प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं उन सभी लोगों की सराहना करता हूं जिन्होंने इस आंदोलन को जमीनी स्तर पर जीवंत बनाया। आइए हम अपनी बेटियों के अधिकारों की रक्षा करना जारी रखें और ऐसा समाज बनाएंगे जहां वे बिना किसी भेदभाव के आगे बढ़ सकें। हम सब मिलकर यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आने वाले साल भारत की बेटियों के लिए अधिक प्रगति और अवसर लेकर आएं।”
समाज में बदलाव की दिशा
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना ने न सिर्फ लिंग असंतुलन पर काबू पाया है, बल्कि बालिकाओं के प्रति समाज का नजरिया भी बदला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पहल की सफलता में विभिन्न सामुदायिक सेवा संगठनों और लोगों के समर्पित प्रयासों की अहम भूमिका रही है।
वर्षगांठ पर विशेष संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से अपील की कि वे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए एकजुट हों और अपनी बेटियों की शिक्षा और अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करें।
यह अभियान ना केवल लिंग समानता की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह भारत के सामाजिक ढांचे में सकारात्मक परिवर्तन की ओर अग्रसर है।