कर्नाटक में हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Controversy) पर राजनीति गरमा गई है। इसे लेकर सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने हैं। बीजेपी का स्टैंड है कि यह धार्मिक प्रतीक है। उसने शिक्षण संस्थानों और कॉलेजों में तय ड्रेस कोड (यूनिफॉर्म) का पक्ष लिया है। इसके उलट कांग्रेस ने मुस्लिम लड़कियों का समर्थन किया है। मामला हाई कोर्ट में भी पहुंच गया है। यानी सियासत से लेकर अदालत तक राज्य में हर कोई विवाद में उलझ गया है। ऐसे में यह समझना जरूरी है इस विवाद ने राजनीतिक रंग ले लिया है।
राजनीतिक दलों ने इसमें हिंदू-मुस्लिम ऐंगल तलाश लिया है। यही कारण है कि इस विवाद ने अब राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने हिजाब पहनने के अधिकार पर मुस्लिम लड़कियों का समर्थन किया है।
कांग्रेस का पक्ष: राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है, “छात्राओं के हिजाब को उनकी शिक्षा के आड़े आने देकर हम भारत की बेटियों का भविष्य छीन रहे हैं, मां सरस्वती सभी को ज्ञान दें। वह भेद नहीं करती। संविधान ने किसी भी धर्म को मानने का अधिकार दिया है। कोई भी अपने धर्म के अनुसार कुछ भी कपड़े पहन सकता है। हिजाब पहनने वाली छात्राओं को स्कूल में एंट्री करने से रोकना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है।
बीजेपी का पक्ष: स्कूल-कॉलेजों में धर्म को शामिल करना सही नहीं है। बच्चों को सिर्फ शिक्षा की जरूरत है। उसने कहा है कि हिजाब या ऐसी किसी चीज की विद्यालयों में जरूरत नहीं है। स्कूल सरस्वती का मंदिर हैं। विद्यार्थियों का काम केवल पढ़ना-लिखना और स्कूल के कायदे-कानूनों का पालन करना है।
कर्नाटक के कुछ महाविद्यालयों में कक्षाओं में हिजाब पहनने को लेकर जारी विरोध के बीच, कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष नलिन कुमार कटील ने कहा कि राज्य सरकार ‘तालिबानीकरण’ की अनुमति नहीं देगी। उन्होंने कहा, इस तरह कक्षाओं में हिजाब पहनने की कोई गुंजाइश नहीं है। हमारी सरकार कठोर कार्रवाई करेगी। लोगों को विद्यालय के नियमों का अनुपालन करना होगा। हम तालिबानीकरण की अनुमति नहीं देंगे।’ कटील ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में धर्म को शामिल करना अनुचित है।