Loksabha Election: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव को राजनीतिक पार्टियों के नेताओं का एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। इन दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव कांग्रेस को लेकर काफी अग्रसर दिखा रहे हैं। बीते दिनों की सीएम मोहन यादव ने धार, रतलाम, उज्जैन लोकसभा क्षेत्रों में आयोजित चुनावी सभाओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस लीडरशिप पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ एक ही परिवार के भरोसे है।
सीएम मोहन यादव ने कहा कि कांग्रेस पार्टी एक ही परिवार के भरोसे है, उन्हीं के इशारों पर काम करती है। कांग्रेस पर 5 पीढ़ियों से एक ही परिवार का कब्जा है और कांग्रेस में उन्हीं के परिवार से प्रधानमंत्री बनते आ रहे हैं। लेकिन इस परिवार के एक भी प्रधानमंत्री ने देश से गरीबी को दूर नहीं किया। सीएम मोहन यादव ने कहा कि अंग्रेज जब भारत से गए तब यहां पर लोकतंत्र की व्यवस्था हुई और सभी राजाओं ने अपना-अपना राज छोड़ दिया। लेकिन कांग्रेस 5 पीढ़ियों से प्रधानमंत्री पद पर विराजमान है।
इसके साथ ही सीएम मोहन यादव ने कहा कि भाजपा में ऐसा नहीं है, यहां पार्टी का हर एक सदस्य पार्टी का कार्यकर्ता है। यहां सबको एक समान मौका मिलता है। यहां भ्रष्टाचार कोई गुंजाइस नहीं है, क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी का कहना है कि ‘न खाऊंगा और न खाने दूंगा’। कानून सबके लिए एक समान है, फिर चाहे वह कोई मुख्यमंत्री हो, मंत्री हो, विधायक हो या कोई अधिकारी हो सभी के लिए कानून एक समान है। जो भी भ्रष्टाचार करेगा वह जेल जाएगा।
सीएम मोहन यादव ने कांग्रेस की घोषणाओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस ने हमेशा देश के गरीबों और आदिवासियों से झूठ बोला है। उनके साथ विश्वासघात किया है। सीएम मोहन ने कहा कि जातिगत आधार पर आरक्षण देकर केवल वोट बैंक की राजनीति करना चाहती है। कांग्रेस ने सिर्फ SC, ST और OBC के आरक्षण में से कटौती की है। कांग्रेस ने हमेशा आदिवासियों और गरीबों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है, कभी भी किसी आदिवासी बहन या बेटी को आगे नहीं बढ़ाया है, उन लोगों को अपनी पार्टी से विधायक या सांसद का टिकट नहीं दिया है। वहीं भाजपा ने हमेशा से सबका साथ और सबका विकास के आधार पर राजनीति की है। इसी के तहत एक आदिवासी महिला को देश के सबसे पद पर पहुंचाया है।
इसके साथ ही सीएम मोहन कांग्रेसी नेताओं द्वारा पीएम मोदी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल पर भी भड़के। उन्होंने कहा कि ये चुनाव 2 ऐसे नेताओं के बीच हो रहा है, जिसमें एक नेता ऐसे हैं, जो बड़े बाप के बेटे हैं और चांदी का चम्मच लेकर आए हैं। बड़े बाप के बेटे अब देश के पीएम मोदी को जी भरकर गाली दे रहे हैं। वे कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है। इन्हें ये पता नहीं है कि इनके शासनकाल में कई बार संविधान बदला गया। तब संविधान को कोई खतरा नहीं था।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास की अवधारण के आधार पर हर वर्ग, हर क्षेत्र के लोगों का विकास किया है और उनको सम्मान दिया। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के माध्यम से महिलाओं को घर-घर गैस कनेक्शन दिए। 4 करोड़ गरीबों को आवास दिए और अब 3 करोड़ आवास और मंजूर किए गए हैं। कांग्रेस ने न युवाओं को रोजगार दिया, न ही महिलाओं का ध्यान रखा।
भाजपा ने मुख्यमंत्री कन्यादान, लाडली लक्ष्मी, लाडली बहना जैसी योजनाएं लेकर आई है। भाजपा ने नगर पालिका, पंचायत, नगर निगम में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया है। भाजपा सरकार लोकसभा और विधानसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को देने का कानून बनाया है। कांग्रेस को रोज झूठ का मंजन बेचना है, जिसकी कला इन्हें आती है। जनता को इससे बचकर रहना होगा। डॉ यादव ने आह्वान करते हुए कहा कि एक-एक वोट भाजपा के पक्ष में देना है। जब तक प्रत्येक वोट नहीं पड़ जाते, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने धार में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी का राजाभोज की नगरी धार और मध्यप्रदेश की धरती पर आना सौभाग्य की बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने लोकसभा और विधानसभा में भविष्य में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है। धार-झाबुआ तो और सौभाग्यशाली हैं, यहां से हमारी दोनों प्रत्याशी बहनों को मौका दिया गया है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जब पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी आए थे, तो जननायक टंट्या मामा विश्वविद्यालय की सौगात दी थी। नरेंद्र मोदी जी को दुनियाभर में सुशासन वाले प्रधानमंत्री के तौर पर जाना जाता है। आज दुनिया में भारत का डंका बज रहा है और दुनिया में भारत पांचवी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है।
आने वाले पांच सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी का संकल्प है कि भारत को विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था वाला देश बनाएंगे और 2047 तक भारत विश्व गुरू बनेगा। आने वाली 13 मई को धार से भाजपा प्रत्याशी सावित्री ठाकुर और झाबुआ से भाजपा प्रत्याशी अनिता चौहान को प्रचंड मतों से जिताकर प्रधानमंत्री मोदीजी के हाथ को मजबूत करना है, ताकि डबल इंजन की सरकार में प्रदेश का विकास निरंतर तेज गति से होता रहे और देश का मान-सम्मान बढ़ता रहे।
रतलाम-झाबुआ संसदीय सीट प्रदेश की सबसे हॉट आदिवासी सीटों में से एक है। लेकिन इस बार यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। दरअसल, भारत आदिवासी पार्टी ने रतलाम झाबुआ लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है। इस सीट से पेटलावद विधानसभा चुनाव में जयस समर्थित भारत आदिवासी पार्टी से उम्मीदवार रहे इंजीनियर बालुसिंह गामड़ को टिकट दिया है। रतलाम जिले की सैलाना विधानसभा सीट भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के खाते में है। ऐसे में इस क्षेत्र में वर्चस्व रखने वाले जयस और बीएपी के प्रत्याशी में त्रिकोणीय मुकाबला होगा। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं, बीएपी के चुनाव लड़ने से खासकर भाजपा को नुकसान होने की ज्यादा संभावना दिख रही है।
रतलाम लोकसभा सीट इतिहास
रतलाम लोकसभा सीट को 2008 में हुए परिसीमन के बाद लोगों ने जाना, इससे पहले इस सीट को झाबुआ नाम से जाना जाता था। इस लोकसभा सीट में पूरा अलीराजपुर और झाबुआ जिला आता है। इन दो जिलों के अलावा इस सीट में रतलाम जिले का कुछ हिस्सा भी शामिल है। मध्य प्रदेश में झाबुआ जिला आदिवासियों के लिए जाना जाता है, यहां के तीज-त्यौहार भी आदिवासियों के रीति-रिवाजों के आधार पर मनाए जाते हैं। यहां पर हस्त शिल्प के कई छोटे-छोटे उद्योग भी हैं जो कि आदिवासियों के कल्चर को दर्शाते हैं।
रतलाम लोकसभा सीट को आदिवासी समुदाय के उम्मीदवारों के लिए रिजर्व किया गया है। इस लोकसभा सीट में भी 8 विधानसभाओं को शामिल किया गया है। जिसमें अलीराजपुर जिले की अलीराजपुर और जोबट, झाबुआ जिले की झाबुआ, ठंडला, पेटलावाद, रतलाम जिले की रतलाम रूरल, रतलाम सिटी और सैलाना विधानसभा शामिल हैं। इन विधानसभाओं में तीन पर कांग्रेस काबिज है, 4 पर बीजेपी और एक विधानसभा सीट पर भारत आदिवासी पार्टी ने जीत हासिल की है।
कांग्रेस का दबदबा
यह लोकसभा सीट लंबे वक्त तक कांग्रेस का अभेद्य किला रहा है। यहां से कांतिलाल भूरिया चुनाव लड़ा करते थे। कांतिलाल भूरिया यहां पर 1998 से लेकर 2009 तक लोकसभा चुनाव जीते हैं। उनकी जीत के इस रथ को 2014 में दिलीप सिंह भूरिया ने रोक दिया था। जिसके बाद यहां हुए उपचुनाव में कांतिलाल भूरिया ने फिर से जीत हासिल की थी। इसके बाद 2019 में गुमान सिंह डामोर ने उन्हें शिकस्त दी थी।
करीब 1 लाख वोटों से हारे भूरिया
अगर 2019 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो इस सीट पर कुल 18,51,112 वोटर्स हैं। यहां पर हुए चुनाव में कांग्रेस ने दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया को एक बार फिर से मौका दिया। वहीं बीजेपी ने गुमान सिंह डामोर को मैदान में उतारा था। इस चुनाव में बीजेपी के गुमान सिंह ने करीब 7 लाख वोट हासिल किए थे, जबकि कांतिलाल भूरिया को करीब 6 लाख वोटों से ही संतोष करना पड़ा था।
पिछले लोकसभा चुनाव 2019 बीजेपी ने यहां से गुमान सिंह डामोर को टिकट दिया था। जबकि कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया पर को प्रत्याशी बनाया था। गुमान सिंह डामोर को 696,103 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को 6,05,467 वोट मिले थे। बीजेपी के डामोर ने भूरिया को 90,636 वोटों के भारी अंतर से हराया था।
रतलाम सीट से वर्तमान सांसद गुमान सिंह डामोर का टिकट कटने का बड़ा कारण पार्टी का सीट पर कराया गया आंतरिक सर्वे बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक सर्वे में गुमान सिंह डामोर रतलाम ग्रामीण सीट के अलावा कहीं पर भी लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार के तौर पर पहली पसंद नहीं बन पाए थे, वहीं अनिता नागर चौहान पांच विधानसभा सीटों पर पहली पसंद बनकर सामने आई थीं। जिसके बाद भाजपा ने सांसद डामोर का टिकट काट कर अनिता को प्रत्याशी बनाया।
रतलाम सीट से भाजपा की लोकसभा उम्मीदवार बनाई गईं अनिता नागर सिंह चौहान मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी हैं जो कि दो बार से अलीराजपुर जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं। यहां ये भी बता दें कि इस बार हुए जिला पंचायत चुनाव में अनिता नागर को 13 में से 12 वोट मिले थे। मंत्री नागर सिंह चौहान इस क्षेत्र में पकड़ रखते हैं।
17 लोकसभा चुनाव और एक उपचुनाव में चार बार ही रतलाम झाबुआ सीट से गैर कांग्रेसी उम्मीदवार जीते है। जनसंघ और भाजपा के लिए यह सीट हमेशा चुनौतीपूर्ण रही है। दिलीप सिंह भूरिया सबसे ज्यादा सात बार कांग्रेस के सांसद रहे। फिर वर्ष 2014 में दिलीप सिंह भूरिया भाजपा में आए और चुनाव जीते, लेकिन उनके निधन के कारण उपचुनाव हुआ और कांग्रेस ने उपचुनाव में जीत दर्ज कराई। 2019 में भाजपा के डामोर ने इस सीट से जीत हासिल की।
इस सीट पर अभी तक तीन बार महिला उम्मीदवार को राजनीतिक दलों ने टिकट दिया है। कांग्रेस ने 1962 में पहली बार महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा था। तब जमुनादेवी चुनाव जीती थी। तब यह सीट चर्चा में आई थी। इस सीट पर 1962 में टिकट बदलते हुए अमर सिंह के स्थान पर जमुना देवी को उम्मीदवार बनाया था। 2004 में दिलीप सिंह भूरिया के बजाए रेलम सिंह चौहान को टिकट दिया, लेकिन वे चुनाव नहीं जीत पाई। अब भाजपा ने फिर महिला को टिकट दिया है।