कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है कि यदि भाजपा की सरकार आई और मोदी प्रधामंत्री बने तो वे संविधान बदल देंगे, उन्होंने कल मध्य प्रदेश की चुनावी सभाओं में भी यही बात कही। अब राहुल गांधी के आरोपों का मप्र के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने जवाब दिया है , मोहन यादव ने पलटवार करते हुए कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों के नाम और उनके द्वारा किये गए संविधान संशोधन गिना दिए।
सीएम डॉ मोहन यादव आज ग्वालियर के मेहगाँव में पहुंचे उन्होंने वहां एक सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी की पप्पू कहकर संबोधित किया, उन्होंने कहा कि वे हमेशा झूठ बोलते है जैसे कोई झूठ को मशीन हो झूठ की दुकान हो, उनको खुद नहीं पता कि वो क्या बोल रहे हैं लेकिन जनता सब समझती है।
मोहन यादव बोले कि कल राहुल गांधी ने संविधान की कॉपी दिखाई और आरोप लगाया कि भाजपा संविधान बदल देगी, तंज कसते हुए मोहन यादव ने कहा कि संविधान की झूठी नकली किताब, पॉकेट बुक टाइप लेकर आ गए उन्हें पता ही नहीं कि असली संविधान की किताब अलग है और ये अलग है। मोहन यादव बोले आजकल ये मीडिया पर चढ़ते हैं कि हमें नहीं दिखाते वो केवल मोदी को दिखाते हैं, अरे तुम दिखने लायक हो ही नहीं तो मीडिया क्यों दिखाए?
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपके बोलने का वजन तो हो, उसमें सच्चाई तो हो, आप जनता को मुर्ख समझते हो, झूठ पर झूठ बोल रहे हो, और मीडिया पर आरोप लगा रहे हो। सीएम डॉ यादव बोले आजकल नेट का जमाना है गूगल करो सब पता चल जायेगा, सबसे पहले संविधान में संशोधन 1950 में नेहरु ने किया, ये कांग्रेस का चरित्र है, गिनाते हुए मोहन यादव ने कहा कि नेहरु ने 17 बार संविधान संशोधन किया, लाल बहादुर शास्त्री 3 बार , इंदिर गांधी ने 29 बार, राजीव गांधी ने 10 बार संशोधन किया इनकी जब तक सरकार रहीं तब तक इन लोगों ने लगभग 100 बार संविधान संशोधन किया इन लोगों को तो डूब मरना चाहिए जो हम पर आरोप लगा रहे हैं।
ग्वालियर लोकसभा सीट इतिहास
मध्य प्रदेश के चार महानगरों में से एक ग्वालियर जिला बेहद महत्वपूर्ण लोकसभा सीट है। इस लोकसभा सीट में पूरा ग्वालियर जिला और कुछ हिस्सा शिवपुरी जिले का आता है। यहां की राजनीति भी सिंधिया घराने के इर्द-गिर्द ही चलती है। ग्वालियर लोकसभा सीट से भी माधवराज सिंधिया लंबे समय तक लोकसभा में रहे हैं।
हालांकि उनके बाद इस सीट पर यशोधरा राजे सिंधिया भी चुनाव जीती हैं।चंबल क्षेत्र के सटे ग्वालियर संभाग की यह सीट राजघराने की वर्चस्व वाली सीट है।ग्वालियर को पूरे प्रदेश का औद्योगिक नगर भी कहा जाता है, वहीं यहां के कई संगीत घराने भी प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा अगर ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की बात की जाए तो यहां पर ज्यादातर किले और स्मारक सिंधिया राजघराने के ही हैं।
ग्वालियर का किले की शान दूर-दूर तक फैली हुई है. इसके अलावा यहां पर मनमंदिर महल, जयविलास पैलेस, तानसेन स्मारक भी दर्शनीय स्थल है। वहीं एजुकेशन के क्षेत्र में जीवाजी यूनिवर्सिटी बहुत ज्यादा विख्यात है।
ऐतिहासिक शहर
ग्वालियर लोकसभा सीट भले ही एक सीट हो, लेकिन यहां की राजनीति का असर ग्वालियर-चंबल संभाग में दिखाई देता है। यहां की पैलेस और संग्रहाल में कई राजवंशों के चिन्ह साफ दिखाई देते हैं। इस शहर को पूर्व के समय में गुर्जर प्रतिहार, तोमर और कछवाहा राजवंशों ने अपनी राजधानी बनाया था। इस लोकसभा सीट पर सबसे पहले 1952 में चुनाव हुआ था। ग्वालियर का नाम गालव ऋषि पर पड़ा है, यह उनकी तपोभूमि मानी जाती है।
राजघराने पर टिकी राजनीति
ग्वालियर शहर की राजनीति पर वैसे तो किसी पार्टी का वर्चस्व कम और राजघराने का वर्चस्व ज्यादा है। हालांकि ऐसा हर चुनाव मे नहीं हुआ है। खैर गौरतलब है कि माधवराज सिंधिया खुद यहां से 1984 से लेकर 1998 तक सांसद रहे हैं।
इसके बाद 2007 के उपचुनाव में उनकी बहन यशोधरा राजे सिंधिया ने चुनाव लड़ा और 2009 के चुनाव में भी उन्होंने जीत अपने नाम की। 2014 में यहां से नरेंद्र सिंह तोमर ने चुनाव जीता था। अगर 2019 के चुनाव की बात की जाए तो यहां से बीजेपी के विवेक नारायण शेजवालकर ने चुनाव लड़ा था जबकि कांग्रेस से अशोक सिंह मैदान में थे। विवेक नारायण शेजवालकर ने कांग्रेस के अशोक सिंह को करीब डेढ़ लाख वोटों से शिकस्त दी थी।
ग्वालियर लोकसभा सीट प्रदेश की अहम लोकसभा सीटों में से एक हैं क्योंकि राजघराने का प्रभाव और दो जिलों के साथ बनी ग्वालियर लोकसभा सीट हमेशा चर्चित सीट रही है। वैसे तो ग्वालियर को तानसेन की नगरी कहा जाता है लेकिन ये राजनीति के लिहाज से भी राजधानी के बाद मध्यप्रदेश का सबसे अहम क्षेत्र है। इस क्षेत्र की पहचान राज घरानों से भी जुड़ी है, इस क्षेत्र को कला और इतिहास के लिए भी जाना जाता है। भारत के खूबसूरत किलों में शुमार राजा मानसिंह महल ग्वालियर में स्थित है, ग्वालियर का एयरपोर्ट मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा और भारत के सबसे बड़े विमानतलों में शुमार है, नवीन क्रिकेट स्टेडियम, शिवपुरी पर्यटन स्थल समेत कई ऐतिहासिक संपदाएं ग्वालियर क्षेत्र में हैं। ग्वालियर का किला विदेशी सैलानियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। इस बार तीसरे चरण में यहां चुनाव होंगे ऐसे में जानते है इस क्षेत्र के बारे और रोचक तथ्य।
बात अगर लोकसभा क्षेत्र के मातदाओं की करें तो ग्वालियर लोकसभा सीट पर कुल 21,40,297 मतदाता हैं। इनमें 11 लाख 32 हजार 662 पुरुष और 10 लाख 7 हजार 571 महिला मतदाता हैं। इनके साथ ही 64 थर्ड जेंडर वोटर भी शामिल हैं, जो आगामी 7 मई को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे और अपना जन प्रतिनिधि चुनेंगे।
ग्वालियर लोक सभा सीट अब तक हमेशा सिंधिया राज परिवार की छत्रछाया में रही है। इस सीट पर हमेशा या तो सिंधिया राज परिवार के सदस्य चुनाव लड़े या उनके समर्थक, और जीत भी उन्हीं को मिली है। लेकिन इस बार सियासी समीकरण कुछ बदल से गए हैं।
क्योंकि लोकसभा 2024 में भारतीय जनता पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों ही मुख्य दलों ने ऐसे प्रत्याशियों पर दांव लगाया है जिन्होंने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में हार का सामना किया है। खास बात यह भी है कि BJP के प्रत्याशी भारत सिंह कुशवाहा सिंधिया राज परिवार के नहीं बल्कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के खेमे से आते हैं। वहीं कांग्रेस ने BJP के मुकाबले अपने पूर्व विधायक प्रवीण पाठक को इस सीट की पर उतारा है।
इस चुनाव के लिए यहां भारत सिंह लगातार मोदी सरकार की उपलब्धियों और मोदी की गारंटी का हवाला देकर वोटर्स को आकर्षित कर रहे हैं। तो वहीं कांग्रेस के प्रवीण पाठक महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाकर वोट मांग रहे हैं। बड़ी बात यह भी है कि इस क्षेत्र में चुनाव जातिगत समीकरण तय करते हैं। ऐसे में यहां के वोटरों को साधने के लिए एक ओर BJP अमित शाह, PM मोदी, मुख्यमंत्री मोहन यादव जैसे दिग्गजों को मैदान में माहौल तैयार करने के लिए उतार रही है। तो वहीं कांग्रेस के प्रवीण पाठक के साथ अब तक कोई बड़ा चेहरा नज़र नहीं आया है।
बात अगर लोकसभा क्षेत्र के जातिगत समीकरणों की हो तो ग्वालियर लोक सभा क्षेत्र क्षत्रिय और ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है। लेकिन ओबीसी वोटर यहां सबसे अधिक हैं। लोकसभा क्षेत्र में जहां 4 लाख ओबीसी वोटर हैं। वहीं ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या भी करीब 3 लाख है. क्षत्रियों (राजपूत) की संख्या भी 2 लाख के आसपास है। इनके अलावा ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र में गुर्जर, यादव, बघेली, आदिवासी और मराठी वोटर भी हैं, जो हार-जीत की दिशा तय करते हैं।
2019 का चुनाव मोदी लहर का माना गया, ये ऐसा चुनाव था जब मध्यप्रदेश में 29 में से 28 सीटें बीजेपी के कब्जे में आई थीं। इस चुनाव में ग्वालियर लोकसभा सीट पर भारतीय जानता पार्टी ने विवेक नारायण शेजवलकर को मैदान में उतारा था, वहीं हर बार की तरह कांग्रेस का भरोसा अपने पुराने खिलाड़ी रहे अशोक सिंह पर रहा। हालांकि, जब मतदान हुआ तो बीजेपी के खाते में 6 लाख 27 हजार 250 वोट आए। जबकि कांग्रेस के अशोक सिंह 4 लाख 8 हजार 408 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी ने 2 लाख 18 हजार 842 वोटों के अंतर से जीत हांसिल की।
बात अगर साल 2014 के लोकसभा चुनाव की करें तो ये चुनाव बीजेपी का केंद्र में टर्निंग पॉइंट था। इसी चुनाव से बीजेपी की मोदी सरकार केंद्र की सत्ता में आयी पहली बार मोदी को प्रधानमंत्री के चहरे के तौर पर बीजेपी ने आगे किया था और जब नतीजे आये तो कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। इस चुनाव में बीजेपी ने ग्वालियर लोकसभा से नरेंद्र सिंह तोमर को टिकट दिया था। जिन्हें जनता ने 4,42,796 वोट से नवाजा। वहीं कांग्रेस से अशोक सिंह को 4,13,097 वोट मिले। इस चुनाव में बीजेपी के नरेंद्र सिंह तोमर 29,699 वोट से जीत कर सांसद चुने गए थे।
साल 2009 के लोकसभा चुनाव के समय देश में कांग्रेस की दूसरी पारी थी, इस चुनाव में देश की जानता का जनाधार तो कांग्रेस को मिला था लेकिन ग्वालियर लोकसभा की जानता ने बीजेपी की यशोधरा राजे सिंधिया को चुना था। यहां ग्वालियर के मतदाताओं ने बीजेपी प्रत्याशी रहीं यशोधरा राजे सिंधिया को 2,52,314 वोट दिए थे। जबकि उनके खिलाफ मैदान में कांग्रेस के अशोक सिंह ने भी कड़ा मुक़ाबला दिया उन्हें 2,25,723 वोट मिले। इस तरह यहां हार जीत का अंतर महज 26,591वोट का रहा।
लंबे समय से ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र के कई प्रोजेक्ट हैं जो चुनाव में मुद्दा तो बनते हैं लेकिन आज भी ये पूरे नहीं हुए, स्वर्ण रेखा नदी प्रोजेक्ट, ग्वालियर का रोपवे प्रोजेक्ट आज भी अधूरा है। इस क्षेत्र में बेरोज़गारी एक बड़ा मुद्दा है, इसकी वजह से ग्वालियर शिवपुरी से कई युवा अन्य बड़े शहरों और राज्यों में काम की तलाश में पलायन करने को मजबूर होते हैं। इसके अलावा यह क्षेत्र सूखे यानी पेयजल संकट की ओर बढ़ रहा है। इसके अलावा क्षेत्र का विकास ग्रामीण क्षेत्रों में जैसे रुकता सा दिखाई देता है और भी ऐसे स्थानीय मुद्दे हैं जिन्हे लेकर जनता चुनाव में मतदान करेगी।