रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुए हिंसा के बाद उमड़े तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन ने नौ दौर की सैन्य वार्ता की है। लेकिन हालात जैसा का तैसा ही बना हुआ है। आपको बता दें कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी 3488 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपने हथियारों के साथ पीछे हटने का नाम नहीं ले रही है। बावजूद इसके पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने तिब्बत में मिसाइल इकाइयों और स्व-चालित होवित्जर के साथ तैयारी और मजबूत कर ली है।
नेशनल सेक्योरिटी प्लानर के मुताबिक, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी तीनों क्षेत्रों में पैंगोंग त्सो के फिंगर एरिया में नए निर्माण के साथ सैनिकों और भारी उपकरणों की तैनाती को नए सिरे से कर रहा है। रक्षा मंत्रालय को सबूत मिले हैं कि पूर्वी लद्दाख के चुमार में एलएसी से महज 82 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शिंकाने पीएलए कैंप के आसपास 35 भारी सैन्य वाहनों और चार 155 एमएम पीएलजेड 83 सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर की ताजा तैनाती के संकेत हैं।
जबकि भारत, चीन के साथ लगने वाली उत्तरी सीमाओं पर अपनी सर्विलांस क्षमता बढ़ाने जा रहा है। भारत ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। बड़ी संख्या में ड्रोन, सेंसर, सैनिक सर्वेक्षण और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण तैनात करेगा। भारत का कसद है कि इससे पीएलए की गतिविधियों पर नज़र रखी जा सके और घुसपैठ का पता लगाने के लिए भी कदम मज़बूत हों।
आपको बता दें कि बीते साल 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों ने भारतीय सैनिकों पर धोखे से हमला कर दिया था। इस हमले में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, वहीं भारतीय सेना ने चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों को मार गिराया था। चीन ने अब तक मारे गए अपने सैनिकों की संख्या की पुष्टि नहीं की है।