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Loksabha Election: मुख्यमंत्री तूफानी दौरा जारी, धार, खरगौन व उज्जैन लोकसभा में करगे चुनाव प्रचार

Loksabha Election: मध्य प्रदेश में लोकसभा के चौथे चरण के लिए प्रचार प्रसार तेज हो गया है. राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है. इसी कड़ी में आज प्रदेश के मुखिया मोहन यादव अलग अलग जिलों के दौरे पर रहेंगे.

By RNI Hindi Desk 
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Loksabha Election: मध्य प्रदेश में लोकसभा के चौथे चरण के लिए प्रचार प्रसार तेज हो गया है. राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है. इसी कड़ी में आज प्रदेश के मुखिया मोहन यादव अलग अलग जिलों के दौरे पर रहेंगे.

आज मुख्यमंत्री मोहन यादव 10 मई को धार, खरगौन व उज्जैन लोकसभा क्षेत्रों के चुनाव प्रचार पर रहेंगे. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रातः 10.30 बजे धार लोकसभा की डॉ. अंबेडकर नगर-महू में जानापाव में परशुराम जयंती के अवसर पर दर्शन-पूजन करने के पश्चात् जनसभा को संबोधित करेंगे.

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज धार, खरगोन और उज्जैन लोकसभा क्षेत्रों के दौरे पर रहेंगे. वे महू के जानापाव में परशुराम जयंती के दर्शन-पूजन करने के बाद जनसभा को संबोधित करेंगे. दोपहर 12.10 बजे खरगोन लोकसभा की महेश्वर विधानसभा के मंडलेश्वर में जनसभा और रोड शो करेंगे. दोपहर 1 बजे महेश्वर में जनसभा और रोड शो करेंगे.

धामनोद में रोड शो

इसके दोपहर 1.45 बजे धार लोकसभा की धरमपुरी विधानसभा के धामनोद में रोड शो, दोपहर 2.50 बजे बदनावर विधानसभा के धामनोद में जनसभा व रोड शो, शाम 4.10 बजे उज्जैन लोकसभा के नागदा में रोड शो और शाम 5.15 बजे उज्जैन में जनसभा को संबोधित कर रोड-शो में शामिल होंगे.

खरगोन लोकसभा इतिहास

भारत के उत्तर व दक्षिण प्रदेशों को जोड़ने वाले प्राकृतिक मार्ग पर बसा खरगोन मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण शहरों में से एक है. साल 1962 में यहां पर पहला चुनाव हुआ और जनसंघ ने जीत का परचम फहराया. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला रहा है.

बीजेपी इस सीट पर जीत का चौका लगा चुकी है. 1989 से 1999 के बीच हुए चुनाव में उसने लगातार यहां पर विजय हासिल की. खरगोन लोकसभा सीट पर हुए हाल के चुनावों पर नजर डालें तो पिछले 2 चुनावों में बीजेपी और 1 चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली. बीजेपी के सुभाष पटेल यहां के सांसद हैं.

सामाजिक ताना-बाना

1 नवंबर  1956 को मध्य प्रदेश के गठन के साथ ही खरगोन  पश्चिम निमाड़ के रूप में अस्तित्व में आ गया था. यह मध्य प्रदेश की दक्षिणी पश्चिमी सीमा पर स्थित है. इस जिले के उत्तर में धार, इंदौर व देवास, दक्षिण में महाराष्ट्र, पूर्व में खण्डवा, बुरहानपुर तथा पश्चिम में बड़वानी है. यह शहर नर्मदा घाटी के लगभग मध्य भाग में स्थित है.

2011 की जनगणना के मुताबिक खरगोन की जनसंख्या 26,25,396 है. यहां की 84.46 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 15.54 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. यहां अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या अच्छी खासी है. खरगोन में 53.56 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है और 9.02 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति की है. यहां पर 17,61,005 मतदाता हैं.

चुनाव आयोग के 2014 के आंकड़े के मुताबिक यहां पर 17,03,271 मतदाता थे, जिनमें से 8,66,897 पुरुष मतदाता और 8,36,374 महिला मतदाता थे. 2014 में इस सीट पर 67.67 फीसदी मतदान हुआ था.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

खरगोन लोकसभा सीट पर पहला चुनाव साल 1962 में हुआ. फिलहाल यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है. यहां पर हुए पहले चुनाव में जनसंघ के रामचंद्र बडे को जीत मिली थी. हालांकि अगले चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के एस बाजपेयी को जीत मिली.

1971 के चुनाव में रामचंद्र ने एक बार फिर वापसी की और कांग्रेस के अमलोकाचंद को मात दी. बीजेपी को पहली बार इस सीट पर जीत 1989 में मिली और अगले 3 चुनावों में उसने यहां पर विजय हासिल की. कांग्रेस ने 1999 में यहां पर फिर वापसी की और ताराचंद पटेल यहां के सांसद बने. इसके अगले चुनाव 2004 में बीजेपी के कृष्ण मुरारी जीते. 2007 में यहां पर उपचुनाव और कांग्रेस ने वापसी की. कृष्ण मुरारी को इस चुनाव में हार मिली.

2009 में परिसीमन के बाद यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित हो गई. यहां पर पिछले 2 चुनावों में बीजेपी की जीत मिली है. यहां की जनता ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को बराबरी का मौका दी है.

फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है.सुभाष पटेल यहां के सांसद हैं. बीजेपी को यहां पर 7 चुनाव में जीत मिली है तो कांग्रेस को 5 चुनाव में जीत मिली है. खरगोन लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. देपालपुल, इंदौर 3,राऊ, इंदौर 1, इंदौर 4, सनवेर,  इंदौर 5, इंदौर 2 यहां की विधानसभा सीटें हैं. इन 8 विधानसभा सीटों में से 4 पर बीजेपी और 4 पर कांग्रेस का कब्जा है.

2014 का जनादेश

2014 के चुनाव में बीजेपी के सुभाष पटेल को 649354(56.34 फीसदी) वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस के रमेश पटेल को 391475(33.97 फीसदी)वोट मिले थे. आम आदमी पार्टी 2.71 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी.

इससे पहले 2009 के चुनाव में बीजेपी के मक्कन सिंह को जीत मिली थी.उन्होंने का बालाराम बच्चन को हराया था. मक्कन सिंह को 351296(46.19 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं बालाराम बच्चन को 317121(41.7 फीसदी) वोट मिले थे. सीपीआई4.19 फीसदी वोटों के साथ इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही थी.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

41 साल के सुभाष पटेल 2014 का लोकसभा चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने. पेशे से किसान सुभाष पटेल ने एमए किया है. संसद में उनकी उपस्थिति का बात करें तो वह उनकी मौजूदगी 90 फीसदी रही. उन्होंने 8 बहस में हिस्सा लिया और 95 सवाल किए.

सुभाष पटेल को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 22.50 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे. जो कि ब्याज की रकम मिलाकर 24 करोड़ हो गई थी. इसमें से उन्होंने 19.72 यानी मूल आवंटित फंड का 87.62 फीसदी खर्च किया. उनका करीब 4.29 करोड़ रुपये का फंड बिना खर्च किए रह गया.

उज्जैन लोकसभा इतिहास

पूरे देश और विदेश में बाबा महाकाल के लिए जानी जाने वाली उज्जैन लोकसभा सीट बेहद महत्वपूर्ण है. उज्जैन लोकसभा सीट में उज्जैन पूरा जिला और कुछ हिस्सा रतलाम जिले का भी आता है. धार्मिक रूप से अति समृद्ध यह क्षेत्र शिप्रा नदी के किराने बसा हुआ है. यहां पर हर 12 साल में एक बार सिम्हस्थ का आयोजन भी होता है. सिम्हस्थ के दौरान देश-विदेश से हजारों लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. उज्जैन को पुराने जमाने में ज्योतिष के लिए भी जाना जाता था. ज्यादातर हिंदू घरों में विक्रम संवत के कैलेंडर को फॉलो किया जाता है जो कि यहीं के राजा विक्रमादित्य ने शुरू किया था.

उज्जैन में बाबा महाकाल के मंदिर के अलावा विश्व प्रसिद्ध काल भैरव मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, चिंतामन गणेश मंदिर, मां हरसिद्धि मंदिर हैं. यहां पर महाकाल लोक भी बनाया गया है जिसका उद्घाटन 11 अक्टूबर 2022 को किया गया था. उज्जैन शहर को कालीदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. वहीं इस लोकसभा सीट में रतलाम भी आता है जहां का प्राचीन लक्ष्मी माता मंदिर पूरे प्रदेश के आस्था का केंद्र है, वहीं यहां की सोना मंडी का सोना पूरे देश में विख्यात है.

शिवपुराण से लेकर महाभारत तक

उज्जैन शहर के इतिहास का जिक्र न सिर्फ शिवपुराण बल्कि महाभारत में भी मिलता है. महाभारत के अनुसार भगवान श्री कृष्ण अपने भाई बलराम के सात उज्जैन के ऋषि सांदीपनी के आश्रम में शिक्षा प्राप्त करने  आए थे. यहां आज भी भगवान श्री कृष्ण और उनके परममित्र श्रीदामा का मंदिर मौजूद है. वहीं यहां पर भगवान भोलेनाथ 84 अलग-अलग मंदिरों में 84 महादेव के नाम से जाने जाते हैं. इन सभी मंदिरों की कथा शिवपुराण में मौजूद है.

राजनीतिक ताना-बाना

उज्जैन की राजनीति की बात की जाए तो इस लोकसभा सीट में आठ विधानसभाएं हैं जिनमें उज्जैन जिले की नागदा-काचरोड, महिदपुर, तराना, घटिया, उज्जैन नॉर्थ, उज्जैन साउथ, बड़नगर शामिल हैं, वहीं रातलाम जिले की आलोट सीट भी इस लोकसभा क्षेत्र में शामिल है. इन सभी विधानसभाओं में 2 पर कांग्रेस काबिज है वहीं बाकी 6 पर बीजेपी ने कब्जा जमाया हुआ है. 2019 के चुनाव की बात की जाए तो यहां पर बीजेपी की ओर से अनिल फिरोजिया ने कांग्रेस के बाबूलाल मालवीय को साढ़े तीन लाख से ज्यादा वोटो के अंतर से हराया था.

उज्जैन लोकसभा  2019 जनादेश

देश में हुए पिछले लोकसभा चुनाव में, यानी लोकसभा चुनाव 2019 में इस सीट पर कुल 1661229 मतदाता थे. उस चुनाव में BJP प्रत्याशी अनिल फिरोजिया को जीत हासिल हुई थी, और उन्हें 791663 वोट हासिल हुए थे. इस चुनाव में अनिल फिरोजिया को लोकसभा सीट में मौजूद कुल मतदाताओं में से 47.66 प्रतिशत का समर्थन प्राप्त हुआ था, जबकि इस सीट पर डाले गए वोटों में से 63.18 प्रतिशत उन्हें दिए गए थे. लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान इस सीट पर INC प्रत्याशी बाबूलाल मालवीय दूसरे स्थान पर रहे थे, जिन्हें 426026 वोट मिले थे, जो संसदीय सीट के कुल मतदाताओं में से 25.65 प्रतिशत का समर्थन था, और उन्हें कुल डाले गए वोटों में से 34 प्रतिशत वोट मिले थे. इस सीट पर आम चुनाव 2019 में जीत का अंतर 365637 रहा था.

इससे पहले, उज्जैन लोकसभा सीट पर वर्ष 2014 में हुए आम चुनाव के दौरान 1525481 मतदाता दर्ज थे. उस चुनाव में BJP पार्टी के प्रत्याशी प्रो. चिंतामणि मालवीय ने कुल 641101 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. उन्हें लोकसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं में से 42.03 प्रतिशत ने समर्थन दिया था, और उन्हें उस चुनाव में डाले गए वोटों में से 63.07 प्रतिशत वोट मिले थे.

उधर, दूसरे स्थान पर रहे थे INC पार्टी के उम्मीदवार प्रेमचंद गुड्डू, जिन्हें 331438 मतदाताओं का समर्थन हासिल हो सका था, जो लोकसभा सीट के कुल वोटरों का 21.73 प्रतिशत था और कुल वोटों का 32.61 प्रतिशत रहा था. लोकसभा चुनाव 2014 में इस संसदीय सीट पर जीत का अंतर 309663 रहा था.

उससे भी पहले, मध्य प्रदेश राज्य की उज्जैन संसदीय सीट पर वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान 1253686 मतदाता मौजूद थे, जिनमें से INC उम्मीदवार गुड्डू प्रेमचंद ने 326905 वोट पाकर जीत हासिल की थी. गुड्डू प्रेमचंद को लोकसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं में से 26.08 प्रतिशत वोटरों का समर्थन हासिल हुआ था, जबकि चुनाव में डाले गए वोटों में से 48.97 प्रतिशत वोट उन्हें मिले थे.
दूसरी तरफ, उस चुनाव में दूसरे स्थान पर BJP पार्टी के उम्मीदवार सत्यनारायण जटिया रहे थे, जिन्हें 311064 मतदाताओं का साथ मिल सका था. यह लोकसभा सीट के कुल वोटरों का 24.81 प्रतिशत था और कुल वोटों का 46.6 प्रतिशत था. लोकसभा चुनाव 2009 में इस संसदीय सीट पर जीत का अंतर 15841 रहा था.
कब, कौन जीता-हारा
  • 1952 से 1967 तक कांग्रेस के नेता राधेलाल व्यास सांसद रहे। उन्होंने भारतीय जनसंघ के भार्गव कैलाश प्रसाद को हराया.
  • 1967 में जनसंघ के हुकुमचंद कछवाय ने कांग्रेस के दुर्गादास सूर्यवंशी को हराया.
  • 1971 में जनसंघ के फूलचंद वर्मा ने कांग्रेस के बापूलाल मालवीय को हराया .
  • 1977 में भारतीय लोकदल के हुकुमचंद्र कछवाय ने कांग्रेस के दुर्गादास सूर्यवंशी को हराया.
  • 1980 में भाजपा के सत्यनारायण जटिया ने कांग्रेस के सुज्जनसिंह विश्नार को हराया.
  • 1984 में कांग्रेस के सत्यनारायण पंवार ने भाजपा के डा. सत्यनारायण जटिया को हराया.
  • 1991 में भाजपा के डा. सत्यनारायण जटिया ने कांग्रेस के सज्जनसिंह वर्मा को हराया.
  • 1996 में भाजपा के जटिया ने कांग्रेस के सिद्धनाथ परिहार को हराया.
  • 1998 में भाजपा के जटिया ने कांग्रेस के अवंतिका प्रसाद मरमट को हराया .
  • 1999 में भाजपा के जटिया ने कांग्रेस के तुलसीराम सिलावट को हराया.
  • 2004 में भाजपा के जटिया ने कांग्रेस के प्रेमचंद्र गुड्डू केा हराया.
  • 2009 में कांग्रेस के प्रेमचंद्र गुड्डू ने भाजपा के जटिया को हराया.
  • 2014 में भाजपा के चिंतामणि मालवीय ने कांग्रेस के प्रेमचंद्र गुड्डू को हराया.
  • 2019 में भाजपा के अनिल फिरोजिया ने बाबूलाल मालवीय को हराया.
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