10 जनवरी की रात होने वाला चंद्र ग्रहण मिथुन राशि के पुनर्वसु नक्षत्र में होगा, वैसे तो भारत में ये चंद्र ग्रहण दिखेगा, लेकिन मांद्य ग्रहण होने की वजह से इसका सूतक नहीं रहेगा।
ये मांद्य चंद्र ग्रहण है। मांद्य का अर्थ है न्यूनतम यानी मंद होने की क्रिया। इसलिए इस चंद्र ग्रहण को लेकर सूतक नहीं रहेगा। इसका किसी भी तरह का धार्मिक असर नहीं होगा। इस ग्रहण में चंद्र की हल्की सी कांति मलीन हो जाएगी। लेकिन, चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रहण ग्रस्त होता दिखाई नहीं देगा।
इस ग्रहण में चंद्रमा का करीब 90 प्रतिशत भाग धूसर छाया में आ जाएगा। धूसर छाया यानी मटमैली छाया जैसा, हल्की सी धूल-धूल वाली छाया। इस ग्रहण में चंद्रमा का करीब 90 प्रतिशत भाग धूसर छाया में आ जाएगा। धूसर छाया यानी मटमैली छाया जैसा, हल्की सी धूल-धूल वाली छाया।
मांद्य चंद्र ग्रहण के कारण इसमें सूतक काल लागू नहीं होगा। न ही सूतक का प्रारंभ और न ही सूतक का अंत।
ज्योतिषियों का कहना है कि भारत में इस ग्रहण का असर न के बराबर होगा। इस ग्रहण पर सूतक नहीं लगेंगे और मंदिरों के कपाट भी बंद नहीं होंगो। धार्णिक जानकारों के अनुसार इस ग्रहण को ग्रहण की कोटि में नही रखा जाता है।
इसलिए इस दौरान धार्मिक कार्य करने की मनाही भी नहीं होगी। 10 जनवरी से माघ मेला लग रहा है और इस दिन पौष पूर्णिमा भी है इसलिए इस दौरान श्रद्धालू गंगा में डुबकी लगाएंगे।
हालांकि पौष पूर्णिमा के दिन और ग्रहण के बाद दान पुण्य किया जा सकता है। शास्त्रों केअनुसार इस महीने में दान पुण्य का करोड़ों गुना फल मिलता है।