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चीन का संकट क्या अर्थव्यवस्था को धीमा कर सकता है ?

By RNI Hindi Desk 
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चीन के वुहान शहर में जब कोरोना वाइरस की दिसम्बर में पुष्टि हुई थी तब किसी ने भी यह नहीं सोचा होगा की इस एक वाइरस के कारण दुनिया सहम उठेगी। अब तक चीन की सरकार के आकंड़ो के मुताबिक 2300 से अधिक लोग मारे जा चुके है और लगभग दुनिया के 10 बड़े देशों में इस वाइरस के लक्षण पाए जा चुके है।

चीन की इस मामले में लापरवाही भी सामने आ रही है और उसका कारण है वाइरस का पता लगाने वाले डॉक्टर की मौत, खबरों की माने तो जिस डॉक्टर ने इस कोरोना वाइरस को लेकर सरकार को आगाह किया उसी को चीन ने प्रताड़ित किया और वुहान के मेयर में भी इस मामलें में लापरवाही दिखाई और उसका खामियाजा लोगों ने भुगता।

चीन में लोकतंत्र और मीडिया नाम मात्र का है इसलिये कई बार वास्तविक चीज़ों को बाहर आने में समय लगता है और यही हुआ इस वाइरस के साथ, हालांकि चीनी सरकार अब कदम उठा रही है लेकिन कितने कारगर होंगे ये बड़ा सवाल है ! इस वाइरस का ख़तरा इतना है कि दुनिया के सभी बड़े देशों ने चीन जाने वाली सभी फ्लाइट कैंसिल कर दी है। लेकिन इन सबके इतर जो सबसे बड़ा ख़तरा उभर कर सामने आ रहा है वो है अर्थव्यवस्था का खतरा।

एक बहुत पुरानी कहावत है की चीन को जब छींक आती है तो दुनिया को ठंड लग जाती है, चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इसमें कोई दो राय नहीं है की पूरी दुनिया के बाज़ार चीन के उत्पादों से पटे पड़े है, दुनिया के सबसे बड़े कारखाने चीन में लगे हुए है और एक संकट एक ऐसे समय में आया है जब वर्ल्ड बैंक पहले ही यह कह चुका है की इकोनॉमी में अगले एक साल सुस्ती आ सकती है।

इस कोरोना वाइरस के संकट के कारण सऊदी, ईरान और रूस को अपने तेल और खनिज उत्पादों के निर्यात में तगड़ा घाटा हो रहा है वही भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश लौह अयस्क का आयात नहीं कर पा रहे है, भारत की बात करे तो भारत में जो एंटीबायोटिक दवाएं बनती है उसका काफी कच्चा माल वो चीन ने आयात करता है और इस संकट के कारण दवाओं का स्टॉक खत्म हो सकता है।

वही दूसरी और अनेक मल्टीनेशनल कम्पनिया ऐसी है जो चीन में ही अपना कारखाना लगाती है और वही से उत्पाद बनाकर बेच देती है और उसका कारण है की चीन में लेबर सस्ती है, वही दूसरी और मशीनों की बात की जाए तो कई भारतीय कंपनियां कलपुर्जों के लिये चीन पर निर्भर है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष भी यह कह चुका है कि इस वाइरस का इकॉनमी पर बुरा असर पड़ने की संभावना है, एक अनुमान यह है कि चीन में वाहनों की बिक्री में 90 फीसद की गिरावट आ गयी है और फैक्ट्री में लोग खाली बैठे है, भारत के नज़रिये से देखे तो दवा, ऑटो, स्टील और इलेक्ट्रॉनिक्स माल महँगा हो सकता है।

रिपोर्ट्स आ रही है की चीन से स्मार्टफोन भी नहीं आ रहे है और अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले कुछ महीनों में मोबाइल और उससे जुड़ी चीज़ों के दाम में वृद्धि हो जायेगी, भारत और चीन में व्यापार 90 अरब डॉलर है और इसमें आयात ज्यादा है और हमारा व्यापार घाटा भी अधिक है तो ऐसे में चीन का यह संकट अब चीन का नहीं बल्कि पूरी दुनिया का संकट बन गया है।

इसका ज़िम्मेदार हम चीन को भी मान सकते है, अगर चीन में लोकतंत्र होता और समय रहते इस संकट से निपटा जाता तो आज ये नौबत नहीं आती, चीन की ताकत ही यही है की वो सभी सूचनाओं को दबा देता है और ऐसे में आधी दुनिया को तो किसी घटना की वस्तुस्थिति तक पता नहीं चलती।

अभी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भारत आये हुए है और ऐसे में स्वाभाविक है की दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत के अलावा वैश्विक परिपेक्ष की भी बात होगी ऐसे में उम्मीद है की अमेरिका और भारत इस संकट को लेकर कोई सार्थक पहल करे वही अब समय आ गया है कि दुनिया अपने सामानों के लिए चीन पर अपनी निर्भरता खत्म करे।

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